Marxist Communist Party accused the power companies : ‘चुनाव जीतने के लिए बिजली बिलों की स्थगित की गई वसूली का खामियाजा अब प्रदेश के 70 लाख बिजली उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा। चुनाव खत्म होने के बाद बिजली कंपनियों ने प्रदेश के उपभोक्ताओं से जुर्माने सहित 4015 करोड़ रुपए वसूलने की ओर कदम बढ़ा दिया है।’ ये बात मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कही है।
बिजली कंपनियों पर आरोप
पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने ये बयान जारी करते हुए कहा है कि बिजली कंपनियों की लूट और फर्जी बिलों की जबरिया वसूली से जनता में बढ़ रहे असंतोष पर काबू पाने के लिए भाजपा सरकार के मुखिया ने अक्टूबर तक बकाया बिलों की वसूली पर रोक लगाने की मांग की थी। लेकिन चुनाव खत्म होते ही प्रदेश की तीनों वितरण कंपनियों ने प्रदेश के 69.86 लाख उपभोक्ताओं से बकाया बिल देरी से भुगतान के जुर्माने सहित वसूलने का बीड़ा उठा लिया है।
जबरिया वसूली पर रोक की मांग
माकपा नेता ने कहा है कि यह जनता के साथ सरासर धोखाधड़ी है। जनता से वोट मिलने के बाद अभी सरकार का भी गठन नहीं हुआ है कि उपभोक्ताओं से जबरिया वसूली का अभियान शुरू हो गया है। बिजली कंपनियों के इस अभियान को ऊर्जा सचिव संजय दुबे ने जायज ठहरा कर साफ कर दिया है कि सरकार को जनता की तब तक ही चिंता थी, जब तक चुनाव नहीं हुए थे। जसविंदर सिंह ने कहा है कि इस सरकार ने अपने पांव एक बार फिर पालने में ही दिखा दिए हैं। स्पष्ट हो गया है कि भाजपा सरकार प्रदेश की जनता की नहीं बल्कि बिजली कंपनियों की ही सगी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस जबरिया वसूली पर रोक लगाने की मांग की है।