भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने भोपाल स्थित शासकीय केन्द्रीय मुद्रणालय में स्थापित कम्प्यूटराइज्ड बेस डिजिटल मशीनों के उद्घाटन किया। इ अवसर पर उन्होने कहा कि 1956 में मध्यप्रदेश की स्थापना के बाद गवर्मेंट प्रेस ने अत्याधुनिकीकरण की ओर अपना पहला कदम बढ़ाया है।अभी तक शासकीय केन्द्रीय मुद्रणालय अंग्रेजों के जमाने की पुरानी मशीनों के साथ ही काम कर रहा था। मुद्रणालय के काम को और अधिक गति एवं गुणवत्ता प्रदान करने के लिए मुद्रण तकनीकी में बदलाव के दृष्टिगत अत्याधुनिकीकरण का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि इससे विधानसभा-सत्र के दौरान बल्क के काम को समय-सीमा के पहले ही पूर्ण करने में मदद मिलेगी।
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राजस्व मंत्री ने बताया कि वर्तमान में मुद्रणालय के अत्याधुनिकीकरण के लिए प्रथम चरण में लगभग 14 करोड़ रूपये का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें से डिजिटल मुद्रण के लिए 2 करोड़ 45 लाख 36 हजार से अधिक की कुल आठ नई प्रिंटिंग मशीनें स्थापित की गई हैं। इन मशीनों की स्थापना से लेटर पैड, विजिटिंग कार्ड का मुद्रण, कोटेड व अनकोटेड पेपर पर मल्टीकलर और ब्लेक एंड व्हाट बुकलेट प्रिंटिंग के साथ ऑटोमेटिक स्टेपलरिंग, व्हीडीपी नंबरिंग, ऑनलाइन नंबरिंग, बार कोडिंग, क्यूआर कोडिंग, विभागीय प्रतिवेदन आदि मुद्रण सुविधा को गति मिलेगी। इसके पूर्व अभी तक यह कार्य आउटसोर्स के माध्यम से कराया जाता था। अब यह कार्य मुद्रणालय में ही पूर्ण गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में कराया जा सकेगा। उन्होने कहा कि मल्टीकलर मुद्रण के लिए मल्टीकलर मशीन एवं सीटीपी मशीन तथा संबंधित सॉफ्टवेयर एवं कम्प्यूटर के लिए ई-टेण्डर की प्रक्रिया भी प्रचलन में है। उन्होंने कहा कि बाइडिंग कार्य मेकनाइज्ड किए जाने से गुणवत्तायुक्त एवं आकर्षक बाइडिंग की जा सकेगी।
गोविन्द सिंह राजपूत ने केन्द्रीय मुद्रणालय में सौर संयंत्र का शुभारंभ बटन दबाकर किया। उन्होंने कहा कि विद्युत व्यय भार को कम करने के लिये मुद्रणालय में रेस्को मॉडल के अंतर्गत ग्रिड संयोजित 100 किलोवॉट की क्षमतायुक्त सौर संयंत्र की स्थापना की गई है। इस संयंत्र की स्थापना से लगभग 5 रूपये 15 पैसे प्रति यूनिट की बचत होगी। वर्तमान में विद्युत वितरण कंपनी की टैरिफ दर 7 रूपये 50 पैसे प्रति यूनिट है। सौर संयंत्र की स्थापना से प्रति यूनिट 2 रूपये 35 पैसे का भार आएगा, जिससे विभाग को 5 रूपये 15 पैसे प्रति यूनिट की बचत होगी। मशीनों के चलने से सबसे अधिक भार विदयुत देयक के रूप में किया जाता है।