भोपाल।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद कांग्रेस में बवाल मचा हुआ है। मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज विधायकों ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समर्थक सड़कों पर उतर आए है, सोशल मीडिया पर धमकी दे रहे है, चक्काजाम, इस्तीफे का दौर शुरु हो गया है। कोई पार्टी पर वंशवाद का आरोप लगा रहा है तो कोई सीधा इस्तीफा देकर पार्टी से समर्थन वापस लेने की बात कर रहा है।इसी बीच बुरहानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक ने भी कमलनाथ सरकार को अल्टीमेटम दिया है।
बता दे कि इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटे मिली थी और सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरुरत थी, सपा के एक, बसपा के दो औऱ निर्दलीय के चार सीटों के समर्थन के बाद यह आकंड़ा 121 पर पहुंचा था और कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई थी।
दरअसल, बुरहानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेंद्र सिंह ‘शेरा’ ने दावा किया है कि बिना निर्दलीय विधायकों के कमलनाथ की सरकार नहीं चल सकती है और जल्द ही सरकार निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाएगी। 2019 में लोकसभा चुनाव भी है। कांग्रेस को हमारी जरूरत है। हमें तो मंत्री बनाया ही जाएगा। उन्होंने साफ किया कि सरकार ने उनका नहीं बुरहानपुर की जनता का मंत्री पद नहीं देकर नजरअंदाज किया। ठाकुर सुरेंद्र सिंह के इस बयान के बाद सियासी हल्कों में हलचल मच गई।
वही अन्य तीन निर्दलीय विधायकों और बसपा- सपा के विधायकों ने भी कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि कांग्रेस में इतनी गुटबाजी हावी है कि जिसने समर्थन दिया कांग्रेस उन्हें ही तवज्जो नहीं दे रही।बताते चले कि कांग्रेस ने केवल वारासिवनी से निर्दलीय जीते प्रदीप जायसवाल को कैबिनेट मंत्री बनाया है। तीन अन्य पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया है।
गौरतलब है कि मंत्री पद ना मिलने से एक के बाद एक विधायकों की नाराजगी सामने आ रही है।केपी सिंह, ऐदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, हीरालाल अलावा, राज्यवर्धन और सुरेन्द्र सिंह ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।खबर है कि नाराज 10 विधायक दिल्ली पहुंच गए हैं। वे राहुल गांधी से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे। गुरुवार को मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा से विधायक ऐदल सिंह कंसाना को मंत्री न बनाए जाने से नाराज ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मदन शर्मा ने अपना इस्तीफा दिया था, जिसको लेकर भी पार्टी में बवाल मचा हुआ है।ऐसे में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है, अगर विधायक अपना हाथ खींचते है तो सरकार गिरने के भी आसार बनते हुए दिखाई दे रहे है। इससे कार्यकर्ताओं में भी भारी रोष है जिसका खामियाजा लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।