मासूमों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा एमपी बोर्ड

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भोपाल।

बोर्ड परीक्षा के रिजल्ट से हजारों बच्चे नाखुश दिख रहे हैं, प्रदेश की प्रतिष्ठित परीक्षा माने जाने वाली दसवी और बारहवीं का रिजल्ट बच्चों के अनुरूप नहीं आया है, बच्चों का मानना है कि कॉपियों की जांच में इस बार लापरवाही बरती गई है। यही कारण है कि ऑनलाइन सेंटरों पर बच्चों की काफी भीड़ देखी जा रही है ‌। माशिमं मासूमों के भविष्य से लगातार खिलवाड़ कर रहा है।

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माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के हिसाब से अब तक 62 हजार विद्यार्थियों ने री-टोटलिंग के लिए आवेदन किया है। जिनमें दोनों कक्षाओं के 591 विद्यार्थियों के री-टोटलिंग के बाद अंक बढ़े हैं। माशिमं ने इनका रिजल्ट भी जारी कर दिया है। री-टोटलिंग में बच्चों के 4 से 60 अंक तक बढ़े हैं।  री-टोटलिंग होने से फेल हुए स्टूडेंट पास भी हुए हैं। विद्यार्थियों का आरोप है कि मंडल ने कॉपियां जांचने में जल्दबाजी की है। इससे उन्हें उनके मेहनत के अनुरूप अंक नहीं मिले हैं।

एक छात्र के बड़े साठ नंबर 

माशिमं की लापरवाही दसवीं के एक छात्र के साठ नंबर बढ़ने से समझे जा सकते हैं, दरअसल दसवीं के एक छात्र को सामाजिक विज्ञान सब्जेक्ट में 20 अंक मिलने के कारण वह एक विषय में फेल हो गया था। वह बेस्ट ऑफ फाइव पद्धति से भी पास नहीं हो पाया। उसने री-टोटलिंग के लिए आवेदन दिया तो सामाजिक विज्ञान में उसके नंबर बढ़कर 80 हो गए और वह प्रथम श्रेणी से पास हो गया। 

शिक्षकों का मानदेय कांटेगा बोर्ड

अब मंडल बोर्ड परीक्षा की कॉपियों का मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई करेगा। इसके लिए मंडल ने समन्वय केंद्रों से मूल्यांकनकर्ताओं की जानकारी मांगी है। प्रशासन गलत कॉपी जांचने वाले शिक्षकों का मानदेय में से कटौती करेगा. ज्ञात हो कि मंडल ने 15 मई को दसवीं व बारहवीं दोनों का रिजल्ट घोषित किया था। इस साल दोनों परीक्षाओं में करीब साढ़े 18 लाख विद्यार्थी शामिल हुए थे।


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