MP FOUNDATION DAY 2022 : आखिर क्यूं बनाया गया भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी?

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज मध्य प्रदेश राज्य का स्थापना दिवस बड़े ही जोरों शोरों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा। भाषाई आधार पर गठित हुए मध्य प्रदेश को आज ही के दिन 1956 में राज्य का दर्जा मिला था इसे मध्य प्रदेश, मध्य भारत, और भोपाल को मिलाकर गठित किया गया था। 43 जिलों वाले मध्य प्रदेश को बीपी सीतारमैया के रूप में अपना पहला गवर्नर मिला। सीतारमैया को शपथ दिलाने वाले जो शख्स थे वह थे मध्य प्रदेश के तत्कालीन चीफ जस्टिस एम.हिदायतुल्लाह, जो बाद में भारत के उप राष्ट्रपति बने। 12 मिनिस्टर और 11 डिप्टी मिनिस्टर वाले मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में पंडित रवि शंकर शुक्ला ने विधानसभा में शपथ ली। विधानसभा स्पीकर कुंजीलाल दुबे की अध्यक्षता में 17 दिसंबर 1956 को विधानसभा का पहला सत्र शुरू हुआ।

पर आपको बता दें नए राज्य के रूप में स्थापित होने के लिए मध्य प्रदेश की राह जितनी आसान दिख रही थी उतनी आसान थी नहीं। जिस भोपाल को आज आप मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में देखते हैं, इसके सुंदर तालाबों को देखते हैं, इसके हर कोने में प्रकृति के वरदान से सुसज्जित वृक्षों को देखते हैं, इसे राजधानी के रूप में लाना इतना आसान नहीं था। एक और जहां लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल पूरे भारत को जोड़ने में लगे हुए थे वही जूनागढ़ के निज़ाम और भोपाल के नवाब अपनी पूरी ताकत से इसका विरोध कर रहे थे। वह किसी भी रुप में अपनी रियासतों को भारत में सम्मिलित नहीं करना चाहते थे। अब प्रश्न था कि कैसे देश के हृदय स्थल में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर पूर्णविराम लगाया जाए। वहीं दूसरी ओर प्रश्न था कि राजसी वैभव से पूर्ण इंदौर या ग्वालियर को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाया जाए या सांस्कृतिक रूप से पूर्ण जबलपुर को राजधानी बनाया जाए।

लेकिन निर्णय लेते समय सामने नाम निकल कर आया भोपाल का। कारण था भोपाल में स्थित ज्यादा भवनों की संख्या, जो सरकारी कामकाजों के लिए पूर्णत: उपयुक्त थी। साथ ही अगर भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाया जाता है तो निश्चित तौर पर यहां घट रही राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर भी खुद ही पूर्ण विराम लग जाएगा। इसके बाद भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में चुना गया। वर्ष 1972 में भोपाल को जिले का दर्जा मिला।

2772 Sq Km में फैले भोपाल की कुल आबादी 23 लाख है। 614 गांव और दो तहसील के अलावा भोपाल जिले के अंतर्गत कुल 6 विधानसभा हैं। आज यह शहर मध्य प्रदेश की ही नहीं राष्ट्रीय राजनीति का भी केंद्र बन चुका है। विकास की नई परिभाषाएं लिखते हुए भोपाल में आज वह हर बुनियादी सुविधा उपलब्ध है जिसकी जरूरत एक आमजन को बेहतर जिंदगी जीने के लिए होती है। चाहे बात करें स्मार्ट सिटी की, स्वच्छ भारत की, मेट्रो प्रोजेक्ट्स की भोपाल हर कसौटी पर बेहतर ढंग से खरा उतरता है। राजनीति के अखाड़े के रूप में देखे जाने वाले इस शहर ने रियासतें भी देखीं, सल्तनत भी देखें और न जाने कितनी ही पार्टियों और नेताओं को आते जाते देखा है। लेकिन एक चीज जो एक दृढ़ संकल्प की तरह अपनी जगह पर टिकी हुई है वह है “भोपाल”


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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