भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज मध्य प्रदेश राज्य का स्थापना दिवस बड़े ही जोरों शोरों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा। भाषाई आधार पर गठित हुए मध्य प्रदेश को आज ही के दिन 1956 में राज्य का दर्जा मिला था इसे मध्य प्रदेश, मध्य भारत, और भोपाल को मिलाकर गठित किया गया था। 43 जिलों वाले मध्य प्रदेश को बीपी सीतारमैया के रूप में अपना पहला गवर्नर मिला। सीतारमैया को शपथ दिलाने वाले जो शख्स थे वह थे मध्य प्रदेश के तत्कालीन चीफ जस्टिस एम.हिदायतुल्लाह, जो बाद में भारत के उप राष्ट्रपति बने। 12 मिनिस्टर और 11 डिप्टी मिनिस्टर वाले मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में पंडित रवि शंकर शुक्ला ने विधानसभा में शपथ ली। विधानसभा स्पीकर कुंजीलाल दुबे की अध्यक्षता में 17 दिसंबर 1956 को विधानसभा का पहला सत्र शुरू हुआ।
पर आपको बता दें नए राज्य के रूप में स्थापित होने के लिए मध्य प्रदेश की राह जितनी आसान दिख रही थी उतनी आसान थी नहीं। जिस भोपाल को आज आप मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में देखते हैं, इसके सुंदर तालाबों को देखते हैं, इसके हर कोने में प्रकृति के वरदान से सुसज्जित वृक्षों को देखते हैं, इसे राजधानी के रूप में लाना इतना आसान नहीं था। एक और जहां लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल पूरे भारत को जोड़ने में लगे हुए थे वही जूनागढ़ के निज़ाम और भोपाल के नवाब अपनी पूरी ताकत से इसका विरोध कर रहे थे। वह किसी भी रुप में अपनी रियासतों को भारत में सम्मिलित नहीं करना चाहते थे। अब प्रश्न था कि कैसे देश के हृदय स्थल में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर पूर्णविराम लगाया जाए। वहीं दूसरी ओर प्रश्न था कि राजसी वैभव से पूर्ण इंदौर या ग्वालियर को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाया जाए या सांस्कृतिक रूप से पूर्ण जबलपुर को राजधानी बनाया जाए।