भोपाल।
इन दिनों एमपी में बिजली को लेकर जमकर सियासत गर्माई हुई है। विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर चारों तरफ से सरकार का घेराव कर रही है। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक सरकार पर तंज कसे जा रहे है। वही लोगों में भी सरकार के प्रति आक्रोश पनपन लगा है और सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। जिसके चलते सीएम कमलनाथ ने अखबारों में एक विज्ञापन जारी कर लोगों से अफवाहों से सावधान रहने की अपील की। साथ ही इस प्रदेश में हो रहे बिजली संकट के लिए पिछली बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
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इस कड़ी में उन्होंने विज्ञापन के माध्यम से कहा है कि अभी पिछले कुछ दिनों से सामने आई बिजली की समस्या के पीछे बिजली की कमी कारण नहीं है, अपितु सालों से व्यवस्था में सुधार नहीं करना और उपभोक्ताओं तक सतत पूर्ति में मानव जनित बाधाएं उत्पन्न करना है। तात्कालिक रूप से पैदा की गई समस्या का निदान आने वाले दिनों में शीघ्र हो जाएगा जबकि व्यवस्थागत समस्याओं के समाधान में थोड़ा वक्त लगेगा।
उन्होने लिखा है कि मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि पिछले कुछ दिनों से बिजली की समस्या के पीछे बिजली की कमी का कोई कारण नहीं है। इसकी वजह पिछले समय में प्रणाली में सुधार नहीं करना और सुचारू आपूर्ति (बिजली) में मानव निर्मित रुकावटें हैं। उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में मांग से ज्यादा बिजली उत्पादन था और इसलिए बिजली की कोई कमी नहीं है। लेकिन उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से बिजली की विफलता के लिए पिछली बीजेपी सरकार को दोषी ठहराया।
इसके साथ ही कमलनाथ सरकार ने भरोसा देते हुए कहा है कि प्रदेश में बिजली संकट नहीं है. शिवराज सरकार के दौरान लाइन की मेंटेनेंस ना होने के कारण बार-बार बत्ती गुल हो रही है। सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से सावधान रहें।मुझ पर विश्वास रखें, मैं जो बोलता हूं उसे पूरा करता हूं… मैं और मेरी सरकार पूरे 5 साल आपकी सेवा में तत्पर है।
बीजेपी फैला रही है प्रोपेगंडा-नरेन्द्र सलूजा
कमलनाथ के मीडिया कॉर्डिनेटर ने नरेंद्र सालूजा ने कहा कि बीजेपी सोशल मीडिया में जानबूझकर प्रोपेगंडा फैला रही है। जबकि कांग्रेस की सरकार में बिजली की स्थिति सुधरी है। राज्य भर में अकस्मात बिजली कटौती लोकसभा चुनाव के दौरान भी एक प्रमुख मुद्दा था। इस मामले में इंजीनियरों समेत 500 से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों को राज्य भर में निलंबित कर दिया गया था। इनमें से ज्यादातर पश्चिमी क्षेत्र से थे। इन सभी पर लापरवाही के तहत कार्रवाई की गई।