MP News : महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के भी “मन की बात” सुनो सरकार

MP News : जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहा है वैसे ही सूबे के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से सेवा देने वाले महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों ने अपने नियमितीकरण भविष्य सुरक्षित की मांग तेज़ कर दी है। इसी तारतम्य में संस्कार राजधानी जबलपुर में प्रदेश स्तरीय मीटिंग कर बड़ी प्रेस वार्ता महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान नियमितीकरण संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले हुई। जैसा कि विदित है कि प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में अल्प मानदेय एवं अनिश्चित भविष्य के बावजूद लगातार सेवा अतिथि विद्वान दे रहे हैं और इन्ही अतिथि विद्वानों के भरोसे ही महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं। इन्ही अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर सरकारें बनी और बिगड़ी थी लेकिन अतिथि विद्वानों के नाम पर खूब सियासत हुई पर भविष्य सुरक्षित नहीं हुआ इसी को लेकर प्रदेश भर के अतिथि विद्वान काफ़ी आक्रोशित हैं। 15 माह के अल्प कार्यकाल में कमलनाथ ने जीतू पटवारी के नेतृत्व में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की नोटशीट तैयार की थी प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी लेकिन सरकार ही गिर गई वहीं विपक्ष में रहते हुए उस समय के विपक्ष के नेता शिवराज सिंह चौहान सहित पूरी भाजपा अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर मुखर होकर नियमितीकरण का वादा की थी।

अनुभव योग्यता दोनों फिर भी भविष्य सुरक्षित नहीं

मोर्चा की प्रदेश संयोजक डॉ नीमा सिंह ने कहा की अतिथि विद्वानों के पास 26 वर्षों का लंबा अनुभव है साथ ही यूजीसी की योग्यता भी पूरी करते हैं उसके बाद भी अतिथि विद्वानों को नियमित नही किया गया जो की समझ से परे है।प्रवेश,परीक्षा,प्रबंधन,अध्यापन,मूल्यांकन,नैक,रुसा आदि समस्त कार्य अतिथि विद्वान ही करते हैं फिर भी शासन प्रशासन अतिथि विद्वानों को नज़र अंदाज़ करता है जो की बेहद दुर्भुष्यपूर्ण है।वहीं मोर्चा के सदस्य डॉ सुमित पासी ने बताया कि आज भी सैकड़ों अतिथि विद्वान सेवा से बाहर हैं,सरकार की गलत नीतियों के कारण फालेंन आउट अतिथि विद्वानों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है।सरकार को तत्काल बाहर हुए अतिथि विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।


About Author
Amit Sengar

Amit Sengar

मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”