MP News : महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों ने खोला मोर्चा, शिवराज सरकार से लगाई गुहार

Atul Saxena
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MP News : इस साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, शिवराज सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और उनके सहयोगी संगठन के नेताओं के साथ विकास यात्रा की तैयारी कर रहे हैं, उधर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है, इसी बीच अतिथि विद्वानों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है ।

MP News : महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों ने खोला मोर्चा, शिवराज सरकार से लगाई गुहार

प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में नौकरी कर रहे अतिथि विद्वानों ने शिवराज सरकार के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। अतिथि विद्वानों ने आज राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में एकदिवसीय वादा स्मरण सभा रखी जिसमें प्रदेश भर के हजारों अतिथि विद्वान शामिल हुए। सभी ने एक स्वर से प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से अपनी नियमितीकरण की मांग दोहराते हुए भविष्य सुरक्षित करने की गुहार लगाई।

कांग्रेस सरकार के समय शिवराज ने दिया था साथ 

अतिथि विद्वानों ने याद दिलाया कि विपक्ष में रहते हुए खुद शिवराज सिंह चौहान सहित डॉ नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव,वीडी शर्मा, प्रज्ञा सिंह, सीताशरण शर्मा जैसे भाजपा के कद्दावर नेता अतिथि विद्वानों के आंदोलन में शामिल हुए थे और 16 दिसंबर 2019 को शिवराज सिंह ने कहा था टाइगर अभी जिंदा है, उस समय शिवराज सिंह चौहान ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ से कहा था –  अतिथि विद्वानों को नियमित करो कमल नाथ नहीं तो अतिथि विद्वानों की हाय तुम्हें ले डूबेगी। टीचर्स ने कहा कि  उस समय अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण को लेकर कांग्रेस ने नोटशीट तैयार कर ली थी लेकिन कांग्रेस की सरकार चली गई और फिर  अतिथि विद्वान हर बार की तरह राजनीति के शिकार हो गए।

पीएससी से पहले हो अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित

आंदोलन में अतिथि विद्वानों के अंदर काफ़ी आक्रोश देखा गया। संघ के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय के कहा कि मध्य प्रदेश के मूल निवासी महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों को नियमित करने के बाद बचे हुए पदों में सरकार पीएससी से भर्ती करें । अतिथि विद्वानों के पास अच्छा खासा अनुभव है एवं योग्यता है। डॉ पांडेय ने शासन प्रशासन से सवाल करते हुए कहा कि आखिर सरकार को चाहिए क्या? अतिथि विद्वानों के पास अनुभव योग्यता दोनों है फिर नियमित क्यों नहीं। सरकार जल्द उचित निर्णय ले। पीएससी 2017 की आज़ भी विवादों में घिरी है।

संवेदनशील शिवराज, अतिथि विद्वानों के लिए असंवेदनशील क्यों?

आंदोलन कर रहे अतिथि विद्वानों की आंखे नम थी और एक पीड़ा दिखाई दे रही थी।आंदोलन का नेतृत्व कर रहे डॉ देवराज सिंह एवं डॉ बीएल दोहरे ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि इतने संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं फिर अतिथि विद्वानों के साथ असंवेदनशीलता क्यों? विपक्ष में रहते हुए अतिथि विद्वानों के लिए सड़क से सदन तक आवाज बुलंद किए पूरी भाजपा सरकार अतिथि विद्वानों के साथ थी लेकिन सत्ता पाते ही अतिथि विद्वानों को नज़र अंदाज़ क्यों कर रही ?

अतिथि विद्वानों ने कहा कि सरकार एक उचित निर्णय लेते हुए अतिथि विद्वानों का भविष्य सुरक्षित करे। इस प्रदर्शन में संयोजक डॉ संजय पांडेय, डॉ लक्षरी दास, डॉ नगीन खेडदे, डॉ नीमा सिंह ने प्रदेश भर के आए अतिथि विद्वानों का आभार व्यक्त किया साथ ही कहा कि तैयारी रखें सरकार मांग नही मानती तो फिर आएंगे राजधानी। आन्दोलन में राज्य के सभी मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों ने मंच में आकर अतिथि विद्वानों का समर्थन किया।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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