MP News : कर्मचारियों का सरकार से सवाल, आकस्मिक निधन के बाद राशि देने में भेदभाव क्यों?

Atul Saxena
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MP News : आपने सरकारी कर्मचारियों के वेतन में विसंगति, DA में विसंगति, अन्य की तरह के भत्तों में विसंगति की बात सुनी होगी , इसके लिए कर्मचारियों के आंदोलन भी देखे होंगे लेकिन अब एक नई विसंगति का मुद्दा सामने आया है, संभवतः पहली बार किसी कर्मचारी संगठन की इस पर नजर गई है, मुद्दा है कर्मचारी के आकस्मिक निधन के बाद उसके परिजनों को दी जाने वाली सहायता राशि का।

कर्मचारी नेता का बड़ा सवाल मृत्यु उपरांत दी जाने वाली राशि में भेदभाव क्यों?

ये मुद्दा उठाया है तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने , उन्होंने सरकार से सवाल किया है कि जेल में कैदी की मौत हो जाने पर उसके परिजनों को 5 लाख रुपये सरकार देती है,  रेल, बस या किसी अन्य सड़क दुर्घटना में यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाये तो सरकार 8 से 10 लाख रुपये देती है यहाँ तक कि सांप काटने से मृत्यु होने पर भी सरकार 4 लाख रुपये मृतक के परिजनों को देती है लेकिन शासकीय कर्मचारियों के साथ भेदभाव क्यों करती है?

हर साल 1 अरब 46 करोड़ 21 लाख 74 हजार 800 रुपए बीमा राशि के रूप में कटवाते है शासकीय सेवक 

तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने बताया कि 1 अरब 46 करोड़ 21 लाख 74 हजार 800 रुपए हर साल बीमा राशि कटवाने वाले अधिकारी कर्मचारियों के आकस्मिक निधन होने पर प्रथम श्रेणी अधिकारी की मृत्यु पर 7.50 लाख रुपये, द्वितीय श्रेणी अधिकारी की मृत्यु पर 5 लाख रुपये, तृतीय श्रेणी कर्मचारी की मृत्यु पर 2.50 लाख रुपये और  चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की मृत्यु पर 1.25 लाख रुपए मिलते हैं जो कि न्याय संगत नहीं है।

सामान्य नागरिक के आकस्मिक निधन सरकार इतनी देती है सहायता राशि 

कर्मचारी नेता ने इस विसंगति को उदाहरण के साथ समझाते हुए बताया रेल का टिकट भले ही 300/-  रुपये का हो यात्रा करने पर अगर किसी की मृत्यु हो जाए तो 8 लाख रुपये दिए जाते हैं बस दुर्घटना, आगजनी होने पर सरकार द्वारा 10 लाख रुपये,  बिजली का करंट, सांप के काटने या कहीं डूबने से मृत्यु होने पर 4 लाख रुपये मिलते हैं वहीं प्रदेश के शासकीय कर्मचारी जो कि हर महीने अपने वेतन से बीमा अंशदान 12 करोड़ 18 लाख 47,900 रुपए जमा करते हैं उसके उपरांत मृत्यु होने पर जो राशि दी जाती है वह बहुत ही कम है।

आकस्मिक निधन पर कर्मचारी के परिजनों को इतनी राशि दिए जाने की मांग  

उमाशंकर तिवारी ने सवाल किया कि आम आदमी जो सरकारी सेवक नहीं है 1 रुपया भी नहीं देते, किसी भी घटना में उनकी मृत्यु हो जाती है तो उन्हें लाखों रुपए का भुगतान किया जाता है तो फिर कर्मचारियों के साथ ये भेदभाव क्यों है?  प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि शासकीय सेवक के आकस्मिक निधन पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के परिजनों को 5 लाख रुपये, तृतीय श्रेणी कर्मचारी के परिजनों को 10 लाख रुपये, द्वितीय श्रेणी अधिकारी के परिजनों को 15 लाख रुपये और प्रथम श्रेणी अधिकारी के परिजनों को 20 लाख रुपए दिए जाने के आदेश जारी किए जाएं क्योंकि  शासकीय सेवक होने के नाते अपने कर्मचारियों के प्रति सरकार की जवाबदेही ज्यादा होती है।

हर महीने वेतन से इतनी कटती है बीमा राशि

कर्मचारी नेता द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश में कुल नियमित कर्मचारियों की संख्या 5 लाख 87 हजार 425 है  इसमें प्रथम श्रेणी अधिकारी 600/- रुपये,  द्वितीय श्रेणी अधिकारी 400/- रुपये, तृतीय श्रेणी कर्मचारी 200/- रुपये और  चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 100/- रुपये हम महीने बीमा की राशि के रूप में अपने वतन से कटवाता है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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