सरकारी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर, विभाग ने जारी किए ये निर्देश, करना होगा पालन, जानें डिटेल्स

वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों से आधिकारिक उद्देश्यों के लिए चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे एआई उपकरणों का उपयोग करने से बचने के लिए कहा है।

Pooja Khodani
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Employees News : केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर है। वित्त मंत्रालय ने सरकारी कार्यालयों के लैपटॉप, पीसी या सरकारी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर किसी भी एआई ऐप का उपयोग न करने का निर्देश दिया है, इसलिए मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि इससे गोपनीय जानकारी और डेटा चोरी होने का खतरा है।

वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों से आधिकारिक उद्देश्यों के लिए चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे एआई उपकरणों का उपयोग करने से बचने के लिए कहा है। एडवाइजरी के हवाले से कहा गया है कि यह निर्धारित किया गया है कि ऑफिस के कंप्यूटरों और उपकरणों में एआई उपकरण और एआई ऐप (जैसे चैटजीपीटी, डीपसीक आदि) (सरकारी) डेटा और दस्तावेजों की गोपनीयता के लिए जोखिम पैदा करते हैं।

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कर्मचारी ना करें इन टूल का इस्तेमाल

भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वे आधिकारिक काम के लिए चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल का इस्तेमाल न करें। इससे पहले आईटी मंत्रालय ने कहा था कि डीपसीक जैसे एआई टूल्स से संबंधित गोपनीयता संबंधी चिंताओं को भारतीय सर्वरों पर ओपन-सोर्स मॉडल की मेजबानी करके प्रबंधित किया जा सकता है।

झारखंड कर्मियों को लेकर भी जारी हुए ये निर्देश

  • झारखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने को लेकर नए नियम जारी किए गए हैं। कार्मिक प्रशासनिक सुधार और राज्य भाषा विभाग के आदेश के तहत अब कर्मचारियों को नियमों के दायरे में रहकर ही सोशल मीडिया पोस्ट करनी होगी।
  • कोई पोस्ट करते और लिखते हुए नरमी बरतने, मर्यादा को बनाए रखने और किसी भी तरह के आपत्तिजनक, भेदभाव या फिर राजनीति पोस्ट न हो जैसे बातों का ध्यान रखना होगा।
  • सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक दल को सपोर्ट करते हुए कोई पोस्ट नहीं लिख सकते है।सरकारी कर्मचारी अब अपने पोस्ट में सरकार की नीतियों पर आलोचना नहीं करेंगे और न ही सोशल मीडिया पर होने वाली चर्चा में शामिल होंगे।
  • शासकीय कर्मचारी ऑफिस टाइम में अपने पर्सनल अकाउंट का इस्तेमाल भी नहीं करेंगे।कर्मचारी सोशल मीडिया पर सरकार की छवि को खराब करने वाली एक्टिविटी में भी हिस्सा नहीं लेंगे।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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