MP News : सतपुड़ा नेशनल पार्क बना “बेस्ट वाइल्डलाइफ डेस्टिनेशन”, केंद्रीय मंत्री ने दिया अवार्ड

Atul Saxena
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MP News : बाघ संरक्षण के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहा मध्य प्रदेश “बाघ प्रदेश” यानि “टाइगर स्टेट” कहलाने का गौरव रखता है, अब यहाँ अफ्रीकन चीते भी हैं जिन्हें मध्य प्रदेश की जलवायु और प्राकृतिक वातावरण पसंद आ रहा है, मध्य प्रदेश के नेशनल पार्कों में बाघ ना सिर्फ सुरक्षित हैं बल्कि पर्यटकों का आकर्षित और प्रभावित कर रहे हैं, नेशनल पार्कों के अच्छे रखरखाव के चलते मध्य प्रदेश के एक नेशनल पार्क को राष्ट्रीय स्टार पर अवार्ड मिला है।

MP News : सतपुड़ा नेशनल पार्क बना "बेस्ट वाइल्डलाइफ डेस्टिनेशन", केंद्रीय मंत्री ने दिया अवार्ड

सतपुड़ा नेशनल पार्क को बेस्ट वाइल्डलाइफ डेस्टिनेशन अवार्ड 

सतपुड़ा नेशनल पार्क को बेस्ट वाइल्डलाइफ डेस्टिनेशन श्रेणी में इंडिया टुडे का एडिटर्स चॉइस अवार्ड मिला है। केंद्रीय संस्कृति और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नई दिल्ली में इंडिया टुडे टूरिज्म समिट एंड अवार्ड समारोह में इसे प्रदान किया। मध्य प्रदेश की ओर से फील्ड डायरेक्टर एल. कृष्णमूर्ति और सहायक प्रबंधक टूरिज्म बोर्ड डॉ. नीलम रावत ने अवार्ड प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि यह अवार्ड सतपुड़ा नेशनल पार्क में पर्यटकों को और अधिक सुविधाएँ विकसित करने के लिए प्रेरणा का कार्य करेगा।

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की विशेषताएं 

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद (नर्मदापुरम)  जिले में स्थिति सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के नाम से भी जाना जाता है। बाघ संरक्षण केंद्र के रूप में प्रसिद्ध यह क्षेत्र वन्य-जीव एवं वनस्पति विविधता से भी समृद्ध है। बाघ के अलावा यहाँ तेंदुए, भारतीय बायसन, भारतीय विशाल गिलहरी, सांभर, चीतल, हिरण, नीलगाय, लंगूर, भालू, जंगली सुअर सहित विभिन्न वन्य-जीव पाए जाते हैं।

नेशनल पार्क में 300 से अधिक गुफाएं 

उद्यान में ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक महत्व की 300 से अधिक गुफाएँ हैं। भोपाल से 210 कि.मी., जबलपुर से 240 कि.मी., नागपुर से 250 कि.मी. और छिंदवाड़ा से 85 कि.मी. सड़क मार्ग से अभयारण्य तक पहुँचना आसान है। अभयारण्य से 52 कि.मी. की दूरी पर पिपरिया निकटतम रेलवे स्टेशन और इटारसी निकटतम रेल जंक्शन है। पचमढ़ी निकटतम बस स्टेंड और अभयारण्य का प्रवेश द्वार भी है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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