भोपाल।
मध्यप्रदेश की 15वीं विधानसभा का शीतकालीन सत्र 17 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, जो 23 दिसंबर तक चलेगा। इस सात दिवसीय विधानसभा सत्र में सदन की कुल 5 बैठकें होंगी।वही कमलनाथ सरकार अनूपूरक बजट पेश करेगी।झाबुआ उपचुनाव के बाद मची सियासी हलचल के चलते इस बार सत्र में हंगामे के आसार है।बीजेपी जहां कांग्रेस को किसानों के मुद्दे, कानून व्यवस्था और बिजली बिलों को लेकर घेराव करेगी वही कांग्रेस बीते 15 सालों का काला चिट्ठा खोलेगी। साथ ही केन्द्र से मदद ना मिलने और भेदभाव करने को लेकर के आरोप लगाए जाएंगें। माना जा रहा है कि प्रह्लाद लोधी की सदस्यता का मुद्दा भी शीतकालीन सत्र के दौरान छाया रहेगा।वही सरकार अपने एक साल में पूरे हुए वचनों का ब्यौरा देगी।इसके अलावा विधायकों-मंत्रियों की भी संपत्ति का खुलासा करने के लिए संकल्प प्रस्तुत किया जाएगा।
बीजेपी की तैयारी
शीतकालीन सत्र में प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी किसानों के मुद्दे को लेकर आपदा राहत और बिजली बिल के सत्ता पक्ष को घेरने की तैयारी कर रही है।इसके लिए नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सभी विधायकों से उनके क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य, अवैध उत्खनन, कर्जमाफी ना होना, किसान आत्महत्या और बाढ़ पीड़ितों को शासकीय मदद आदि की जानकारी मांगी है। भार्गव ने विधायकों को भी तैयारियां करने को कहा है।भार्गव ने सभी विधायकों से कहा है कि जनता की आवाज को विधानसभा में उठाना हम सब जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य है।विभिन्न विभागों और अपने क्षेत्र से जुड़ी जनसमस्याओं को लेकर विधानसभा में तारांकित एवं अतारांकित प्रश्नों को विधानसभा सचिवालय भेजने की तैयारी रखें, ताकि विधानसभा सत्र की अधूसूचना जारी होते ही प्रश्न लगाए जा सकें।इसके अलावा गोपाल भार्गव ने खत में विधायकों से उनके खिलाफ लंबित न्यायालयीन प्रकरणों की भी जानकारी मांगी है, ताकि वक्त रहते उन्हें कानूनी मदद मुहैया कराई जा सके और सत्र के दौरान प्रह्लाद लोधी की सदस्यता शून्य किए जाने जैसे किसी हालात का सामना न करना पड़े।भार्गव ने विधायकों को पत्र लिख उनपर दर्ज केसेस की वर्तमान स्थिति, पुलिस एफआईआर की कॉपी, केस लड़ने वाले वकील का नाम और नम्बर और केस से जुड़े सभी दस्तावेज की जानकारी एक हफ्ते में जमा कराने को कहा है।
कांग्रेस की तैयारी
वही विपक्ष के हावी होने की स्थिति में कमलनाथ सरकार ने भी जवाब देने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि किसानों के साथ प्रहलाद लोधी की सदस्यता का मुद्दा भी शीतकालीन सत्र के दौरान जोर-शोर से उठेगा। क्योंकि हाल ही में प्रहलाद लोधी को दो साल की सजा होने के बाद विधानसभा से उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई है। इसके बाद लोधी हाईकोर्ट में चले गए, जहां से उन्हें दो साल की सजा पर फिलहाल जनवरी तक के रोक लगा दी गई। हालांकि सरकार इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रही है।इसके अलावा मोदी सरकार द्वारा राहत राशि ना मिलने का भी मुद्दा सत्तापक्ष भुनाया सकता है। दिग्विजय सिंह ने इस सिलसिले में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान से लेकर बीजेपी के सभी सांसदों को खत भी लिखा है।