भोपाल।
कर्ज में डूबी राज्य सरकार एक बार फिर 800 करोड़ का कर्ज उठाने जा रही है। चुनाव परिणाम से पहले सरकार के इस कदम ने राजनैतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस ने इसको लेकर आपत्ति जताई है। अभी तक प्रदेश पर करीब पौने दो लाख करोड़ रुपए का कर्जा है। ऐसे में इस बार भी बीजेपी की सरकार बनती है तो कर्ज का भार वही उठाएगी, लेकिन अगर कांग्रेस की सरकार बनती है तो कर्ज का भार कांग्रेस को उठाना पड़ेगा। जिस तरह के प्रदेश के वित्तीय हालात है इस स्थिति में नई सरकार के लिए सरकार चलाना चुनौतीपूर्ण होगा।
दरअसल, वित्तीय संकट से निपटने के लिए वित्त विभाग ने रिजर्व बैंक से 800 करोड़ का कर्ज लेने की अनुमति मांगी है। 10 साल के लिए लिया जा रहा यह कर्ज 8.44 प्रतिशत ब्याज पर होगा। दो दिन पहले राज्य सरकार ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया हैं। इसके साथ ही एक नोटिफिकेशन और जारी हुआ है, जो इतनी ही (800 करोड़) राशि की परिसंपत्तियों की नीलामी से जुड़ा है। वर्तमान में राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति खराब है। चुनाव की वजह से लगातार राजस्व में कमी आई है। हालांकि केंद्र से जीएसटी के रूप में आने वाली राशि पिछले महीने ज्यादा आई है। फिर भी अभी चल रहे कई प्रोजेक्ट पर खर्चे के लिए यह कर्ज लिया गया है। यह कर्ज विकास और सिंचाई प्रोजेक्ट के रुके हुए प्रोजेक्टों के नाम पर लिया जा रहा है। स्थिति यह है कि कर्ज से सरकार पर धीरे धीरे दबाव बढ़ता जा रहा है और सरकार कर्ज में डूबती चली जा रही , बावजूद इसके राज्य सरकार द्वारा हर महीने एक से दो हजार करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से लिया जा रहा है।
कांग्रेस ने जताई आपत्ति, बीजेपी ने दिया ये जवाब
कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि आखिर ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि नया जनादेश आने से पहले सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है, क्या छह-सात दिन इंतजार नहीं कर सकती थी? पौने दो लाख करोड़ का कर्ज तो पहले से है ही। कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से भी इसकी शिकायत की है, क्योंकि इस समय आचार संहिता लागू है। जिस पर वित्त मंत्री जयंत मलैया जवाब देते हुए कहा है कि विकास के लिए कर्ज़ लिया जाना गलत नहीं है। राज्य सरकार विकास कार्यों के लिए कर्ज ले रही है। राज्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर यह कर्ज लिया जा रहा है।विपक्ष को इस बात की समझ ही नहीं है।