भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। Gyanvapi Case:- भारत में मुग़लों ने 200 सालों का राज किया। इस दौरान शहंशाह अकबर ने सभी धर्मों को जोड़ने की कोशिश की और भारत में ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध हुए। औरंगजेब मुग़ल वंश का सबसे क्रूर राजा माना जाता है। आर.एस शर्मा की इतिहास के किताब के मुताबिक उसके शासन काल में राजपूतों के साथ भी मुग़लों के संबंध खराब हो चुके थे, वो काफी कट्टर मुसलमान भी माना जाता था। इतना ही नहीं उसने अपने पूर्वजों के कई नियमों को भी बदला और जीवनकल में कई मंदिरों को भी ध्वस्त किया। ऐसा नहीं है की औरंगजेब ने केवल मंदिरों की तोड़ा बल्कि अपने खजाने की लालच में उसने मस्जिदों को भी नहीं छोड़ा, ऐसी भी अफवाहें है, हालांकि यह कितना सच है और कितना झूठ इसे बिना गहराई में जाए नहीं बताया जा सकता।
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औरंगजेब का मध्यकालीन भारत में मध्यप्रदेश पर भी शासन था। इस दौरान उसने प्रदेश के भी कई मंदिरों को अपने कट्टरपंती का शिकार बनाया, उसने कई हिन्दू धर्मस्थलों का नाम भी बदला। इस खबर में आज हम उन्ही मंदिरों की बात करेंगे जिसे औरंगजेब के शासनकाल में मिट्टी में मिला दिया गया और ऐसी भी अफवाह है की इन मंदिरों के नीव पर मस्जिदों का निर्माण हुआ।
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आज ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे खत्म हुआ और शिवलिंग मिलने की खबर भी सामने आई है, तो आइए चलते हैं मध्यप्रदेश के इतिहास के पन्नों में। सूत्रों के मुताबिक 1682 में औरंगजेब ने मध्यप्रदेश के चारकिका मंदिर को तोड़वाया था और इसके जगह पर बीजामहल मस्जिद का निर्माण हुआ। 1684 में औरंगजेब ने ग्वालियर के सिद्धि ग्वाली मंदिर को ध्वस्त करावा दिया था, इसके जगह पर मस्जिद बनवाने के अधिक प्रमाण नहीं मिले है।
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17वीं शताब्दी में औरंजेब ने जबलपुर के चौसठ योगिनी मंदिर को नष्ट किया था, इसके अवशेष की तस्वीरें भी पाई गई हैं। ऐसी भी अफवाहें है की 1685 में औरंगजेब ने ग्वालियर के सभी मंदिरों को नष्ट कर दिया था। मध्यप्रदेश के उदयपुर में मंदिरों के समानों से मस्जिद का निर्माण हुआ था। यदि इतिहास के पन्नों को पलटा जाए तो सिर्फ मध्यप्रदेश के मंदिरों को ही नहीं बल्कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत के कई मंदिरों को तोड़ा गया था।