NSUI ने की राज्यपाल से मुलाकात, महाअधिवक्ता को करोड़ों रुपए के भुगतान के मामले में की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग

रवि परमार ने चेतावनी दी कि यदि इस मामले में शीघ्र संज्ञान नहीं लिया गया और दोषियों पर उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो NSUI इस वित्तीय घोटाले के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी।

BHOPAL NEWS : भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगु भाई पटेल को ज्ञापन सौंपकर राज्य के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, अतिरिक्त महाधिवक्ता अभिजीत अवस्थी और अन्य शासकीय अधिवक्ताओं द्वारा सरकारी विभागों से मनमाने ढंग से करोड़ों रुपये की फीस वसूलने की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है।

लगाए आरोप 

NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष रवि परमार ने कहा कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर और मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल भोपाल सहित अन्य सरकारी संस्थानों से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को नियमों के विरुद्ध अत्यधिक राशि का भुगतान किया गया। यह न केवल वित्तीय अनियमितता को दर्शाता है, बल्कि इससे सरकार के विधि तंत्र की निष्पक्षता एवं पारदर्शिता भी प्रभावित हो रही है।

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नियमों के विरुद्ध फीस भुगतान का मामला

मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (MPMSU) की 24 जून 2021 की कार्यपरिषद बैठक में अधिवक्ताओं की फीस निर्धारित की गई थी। इसमें तय किया गया था कि –प्रोफेशनल फीस – मात्र ₹15,000 (प्रकरण प्रगति पर ₹7,500 अथवा पूर्ण होने पर ₹7,500)लीगल अभिमत फीस – मात्र ₹5,000 होगी। लेकिन, इसके विपरीत महाधिवक्ता प्रशांत सिंह द्वारा मात्र एक लीगल अभिमत के लिए 2.30 लाख से अधिक की राशि का बिल प्रस्तुत किया गया, जिसे बिना किसी औचित्य के मंजूरी दे दी गई।

NSUI के आरोप 

02 मार्च 2023 को ₹2,30,000 का बिल प्रस्तुत किया गया। 22 जून 2023 को ₹2,42,000 का बिल दिया गया। एक दिन की सुनवाई के लिए ही ₹3,85,000 का भुगतान किया गया। यह भुगतान न केवल विश्वविद्यालय के निर्धारित शुल्क ढांचे के विपरीत था, बल्कि अनुबंधित अधिवक्ता राहुल मिश्रा, जो मात्र ₹5,000 में यह लीगल अभिमत दे सकते थे, की नियुक्ति होने के बावजूद अतिरिक्त भुगतान किया गया 2.56 करोड़ रुपये का गैरवाजिब भुगतान

NSUI ने की शिकायत 

मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर ने अब तक महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को ₹73,54,800 का भुगतान किया। मध्यप्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल भोपाल ने ₹1,83,15,000 का भुगतान किया। कुल मिलाकर, सरकारी संस्थानों द्वारा ₹2,56,69,800 का अनियमित भुगतान किया गया। इसके अलावा, अतिरिक्त महाधिवक्ताओं और अन्य सरकारी अधिवक्ताओं को भी अनावश्यक रूप से लाखों रुपये का भुगतान किया गया।

NSUI ने राज्यपाल के समक्ष रखी ये 6 मांगें

1. महाधिवक्ता प्रशांत सिंह एवं अन्य शासकीय अधिवक्ताओं द्वारा प्राप्त की गई फीस की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच करवाई जाए।
2. यदि जांच में वित्तीय अनियमितता पाई जाती है, तो छात्र-छात्राओं से वसूली गई फीस के दुरुपयोग को रोकते हुए अनावश्यक रूप से किए गए भुगतान की रिकवरी की जाए और दोषियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई हो।
3. भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए, जिससे सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोका जा सके।
4. सभी शासकीय अधिवक्ताओं के पारिश्रमिक का पारदर्शी एवं न्यायसंगत निर्धारण किया जाए, जिससे किसी भी संस्थान को अनावश्यक वित्तीय भार न उठाना पड़े।
5. मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर के कार्यपरिषद सदस्यों, नर्सिंग काउंसिल के रजिस्ट्रार एवं उन सभी अधिकारियों की जांच कराई जाए, जिन्होंने नियम विरुद्ध यह भुगतान मंजूर किया।
6. मध्यप्रदेश शासन के विधि विभाग की भूमिका की भी जांच की जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उक्त अनियमितताओं में विभागीय स्तर पर कोई मिलीभगत तो नहीं थी।

NSUI करेगी प्रदेशव्यापी आंदोलन

रवि परमार ने चेतावनी दी कि यदि इस मामले में शीघ्र संज्ञान नहीं लिया गया और दोषियों पर उचित कार्रवाई नहीं हुई, तो NSUI इस वित्तीय घोटाले के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि “हम छात्रों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। मध्यप्रदेश के शासकीय अधिवक्ताओं का कार्य प्रदेश की जनता और शासन के हितों की रक्षा करना होता है, न कि सरकारी संस्थानों से करोड़ों रुपये की फीस लेकर अनुचित लाभ अर्जित करना। NSUI इस अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठेगी।” NSUI ने मांग की है कि राज्यपाल इस गंभीर विषय पर शीघ्र संज्ञान लें और न्यायिक नैतिकता की रक्षा के लिए दोषियों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें।

 


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Sushma Bhardwaj

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