भोपाल।
एमपी विधानसभा में लगातार हो रही सदस्यों की मौतों को लेकर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का बड़ा बयान सामने आया है।गोपाल भार्गव ने एक के बाद एक विधानसभा के सदस्यों की मौत पर चिंता जाहिर की और काशी से विद्वान बुलाकर अनुष्ठान करवाने की सलाह दी है।गोपाल भार्गव ने कहा है कि विधानसभा में कुछ ना कुछ ऐसी चीज है, जिसके चलते लगातार विधानसभा के सदस्यों की मौत हो रही है। काशी से विद्वान बुलाकर विधानसभा में अनुष्ठान करावाना चाहिए।
दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार ने विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है। सत्र के पहले दिन दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी गई और फिर कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई। सदन के स्थगन के बाद नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने बड़ा बयान दिया है। भार्गव ने कहा कि हमारे वर्तमान विधानसभा को एक वर्ष हुआ है। पिछले चालीस वर्षो से देख रहा हूं, कि सदन के एक कार्यकाल में ही दस से ग्यारह विधायकों की दिवंगत हो गए है । इसको लेकर मैने कई विद्वानो और बुद्धि जीवियो से चर्चा की है। वास्तु का अपना अलग महत्व है, पिछले कई समय में कई साथी दिवंगत हो गए है, इस कारण को समझना चाहिए। मैंने मनोवैज्ञानिक लोगों से पूछाउन्होंने बताया विधायक को मानसिक दबाव रहता है, देर रात तक जागते है। बड़ा कारण असमय मृत्यु का मानसिक तनाव भी रहता है। नेताओ की अकाल मृत्यु का सबसे बड़ा कारण मानसिक तनाव है।गोपाल भार्गव ने कहा है कि विधानसभा में कुछ ना कुछ ऐसी चीज है, जिसके चलते लगातार विधानसभा के सदस्यों की मौत हो रही है। काशी से विद्वान बुलाकर विधानसभा में अनुष्ठान करावाना चाहिए।
पूर्व विस अध्यक्ष ने कही ये बात
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा ने कहा है कि उनके समय भी विधायकों को वास्तु को लेकर आशंका थी। इसके बाद विधानसभा में वास्तु में कुछ परिवर्तन कराया था।
कैबिनेट मंत्री ने किया समर्थन
वही नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के सदन में अनुष्ठान के वक्तव्य पर कैबिनेट मंत्री राजपूत ने समर्थन किया है।राजपूत ने कहा कि जब से विधानसभा बनी है तब से असमय विधायकों की मौतें हुई है। अगर ऐसा है तो किसी क़ाबिल व्यक्ति से वास्तुदोष दूर कराए जाना चाहिए।
15 साल में हो चुके है 31 उपचुनाव
बता दे कि विधानसभा सदस्याों की मौत के चलते बीते 15 साल में भाजपा सरकार के दौरान प्रदेश में 31 उप चुनाव हुए हैं। बहुत कम समय ऐसा रहा है जब विधानसभा सत्र में विधायकों की संख्या पूरी रही हो। हाल ही में मुरैना जिले की जौरा विधानसभा से कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन हो गया था, जिसके चलते जौरा विधानसभा सीट खाली हो गई है और यहां उपचुनाव होने है। इसके पहले झाबुआ सीट पर हुए थे।ऐसा कहा जाता है कि उप चुनाव के निरंतर होने का सिलसिला 2003 में भाजपा सरकार के आने के बाद से शुरू हुआ है। सदन का कोई न कोई सदस्य सरकार के पांच साल पूरे होने से पहले गुज़र जाता है। कई बार इन बातों को विधानसभा परिसर के वास्तुदोष से जोड़ कर भी देखा जाता रहा है।