भोपाल। पृथ्वी पर अगर कोई आम जनता को कोरोना (Corona) के संक्रमण से इस समय बचा सकता है तो वो सिर्फ डॉक्टर (Doctors) हैं| डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ खुद की चिंता किए बिना लोगों को इस भयानक बीमार के संक्रमण से बचा रहा है और साथ ही खुद भी इस संक्रमण से लड़ाई लड रहा है| उनकी इस लड़ाई में उनके लिए सुरक्षा कवच का काम पीपीई किट (PPE Kit) कर रही हैं| लेकिन क्या हो जब यही पीपीई किट सुरक्षा का नहीं बल्कि बीमार होने का कारण बन जाए|
दरअसल डॉक्टरों को जो पीपीई किट दी जा रही हैं वो उनसे बीमार हो रहे हैं| गुरूवार को देखा गया कि बहुत से डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की पीपीई किट पहनने के मात्र 1 घंटे के बाद ही तबियत खराब हो गई| जहांगीराबाद में तो एक नर्स स्टाफ की तबियत इस कदर खराब हुई कि उसे इमरजेंसी में भर्ती करना पड़ गया|
पीपीई किट मोटी होने के कारण हुआ यह सब
इस समय गर्मी अपने चरम पर है और तापमान 40 डिग्री के पार जा रहा है| ऐसे में पीपीई किट पहनकर काम करना किसी चुनौती से कम नहीं| डॉक्टरों की माने तो इस बार जो पीपीई किट दी गई हैं वो मोटी हैं| यही कारण है कि मोटी पीपीई किट को पहनने के बाद डॉक्टरों और पेरामेडिकल स्टाफ को डिहाइड्रेशन हो गया और उनकी तबीयत बिगड़ गई|
गौरतलब है कि इस बात को लेकर गांधी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने अपनी नाराजगी भी जताई थी| बता दें कि जेपी अस्पताल में 6, हमीदिया में 7 रेडक्रास में 1 कोरोना वॉरियर इस पीपीई किट के कारण हुआ बीमार| पीपीई किट की मोटाई 90 जीएसएम से ज्यादा नही होनी चाहिए| विशेषज्ञों की माने तो पीपीई किट में प्रयोग की जाने वाली प्लास्टिक 90 जीएसएम मोटाई की ही होनी चाहिए| इससे ज्यादा मोटी होने पर पहनने वाला इसे पहन नही सकता| अगर कोई इस पहनेगा तो वो बेहोश हो जाएगा|