भोपाल।
विधानसभा का सत्र 7 जनवरी से शुरु हुआ है और कांग्रेस द्वारा दीपक सक्सेना को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। सोमवार को दीपक सक्सेना ने 229 विधायकों को शपथ दिलाई और मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण के साथ ही उनकी जिम्मेदारी खत्म हो गई। लेकिन जाते जाते प्रोटेम स्पीकर विधानसभा में संविदा नियुक्ति समाप्त कर गए। बताते चले कि बीते साल चुनाव आचार संहिता के दौरान हुई नियुक्तियों पर कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए आयोग को पत्र लिखकर नियुक्तियां करने का आग्रह किया था।
दरअसल,विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा के निजी स्टाफ में पदस्थ कर्मचारियों को संविदा पर नियुक्ति दे दी गई थी। विधानसभा के सचिव शिशिर चौबे भी इसमें शामिल है। चौबे सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। उन्हें हाल ही में विधानसभा में सचिव पद पर संविदा नियुक्ति की दी गई थी, जिसे कांग्रेस ने नियम विरुद्ध माना गया था और
चुनाव आयोग को भी पत्र लिखकर नियुक्तियां करने का आग्रह किया था।इस पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरन शर्मा ने कहा था कि विधानसभा में चुनाव आचार संहिता लागू नहीं होती। चुंकी अब सरकार कांग्रेस की है तो संविदा पर इन नियुक्तियों का सचिवालय में भी विरोध हुआ ।मंगलवार को प्रोटेम स्पीकर तक भी यह बात पहुंची थी। नियमित पदों को संविदा पदों पर बदलने जाने के लिए विधानसभा सचिवालय ने राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा। लेकिन राज्य सरकार के वित्त विभाग ने स्पष्ट तौर पर कह दिया गया कि नियमित पदों को संविदा में नहीं बदला जा सकता। इस पर प्रोटेम स्पीकर ने मंगलवार को जाते जाते इन नियुक्तियों को निरस्त करने के आदेश दिए। देर शाम यह आदेश जारी भी कर दिए गए।
बता दे कि विधानसभा में राज्य सरकार से 40 से अधिक पद मिले है। इनमें 6 पद सहायक ग्रेड तीन के थे। इन छह में से चार पदों को संविदा में बदल दिया गया। जिसको लेकर सचिवालय में विरोध हुआ और प्रोटेम स्पीकर ने नियुक्तियां निरस्त करने के आदेश दे दिए।