एक साथ हुई भर्ती फिर वेतन में क्यों विसंगति? फरियाद लेकर अफसरों के चक्कर काट रहे MP Police के सिपाही

खास बात ये है कि पीड़ित सिपाहियों के आवेदन पर पुलिस अकादमी ने अक्टूबर 2024 में पुलिस मुख्यालय को पत्र भी लिखा है फिर भी कोई समाधान नहीं निकला।

Atul Saxena
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MP Police:  मध्य प्रदेश पुलिस में भर्ती कुछ सिपाही आज परेशान हैं उनकी नौकरी को 10 साल से अधिक हो गए हैं लेकिन अब वे इस बात से परेशान हो रहे हैं सरकार से एक ही बैच के सिपाहियों को अलग अलग वेतन रहा है, सिपाहियों ने जब खोजबीन की तो मालूम चला कि जब उन्हें जब विकल्प चुनने का अवसर मिला तो उस समय वेतन क्लर्क ने जो फॉर्म दिया उन्होंने उसे भर कर दिया जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है अब उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

दरअसल 2013 में हुई भर्ती में मप्र पुलिस ने ट्रेड मेन की सीधी भर्ती की थी तब भर्ती सिपाहियों को शासन के नियमानुसार एक समान वेतनमान का निर्धारण किया गया, 2016 में इन्हें सातवें वेतनमान का लाभ मिला, वित्त विभाग ने वेतन पुनरीक्षण नियम 2017 के तहत आदेश जारी कर विकल्प भरने के निर्देश दिए, और उन्होंने वेतन क्लर्क द्वारा दिए गए फॉर्म भरकर विभाग को दे दिए।

फिक्सेशन पर पता चला अन्य से दो इन्क्रीमेंट कम मिल रहे

जब इन ट्रेडमेन सिपाहियों की नौकरी के 10 साल पूरे हुए और वेतन फिक्सेशन का समय आया तब इन्हें मालूम चला कि कई कर्मचारियों को दो इन्क्रीमेंट कम मिल रहे हैं, इनका मूल वेतन अन्य कर्मचारियों से कम है और ऐसा करीब 1000 सिपाहियों के साथ हो रहा है।

वेतन विसंगति दूर कराने की विकल्प की सूचना ही नहीं मिली 

कम वेतन मिलने की जानकारी सामने आने के बाद इन सिपाहियों ने खोजबीन की तो मालूम चला कि वित्त विभाग ने विसंगति सुधारने का समय दिया था लेकिन सभी कर्मचारियों तक इसकी सूचना नहीं पहुंची जिनको सूचना मिली उनकी वेतन विसंगति दूर हो गई और जिनको सूचना नहीं मिली वो आज भी परेशान है।

किसी की बेसिक 27,700 किसी की 28,500, किसी का फिक्सेशन 29,400 पर    

इन सिपाहियों की माने तो 2013 में एक साथ भर्ती हुए इन पीड़ित सिपाहियों का मूल वेतन 27,700 रुपये निर्धारित किया गया है जबकि उनके बाकी बैचमेट की बेसिक पे 28,500 रुपये और 29,400 रुपये निर्धारित की गई है अब ये पीड़ित सिपाही व्तेँ विसंगति दूर कराने के लिए अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

पीड़ितों का आरोप वेतन क्लर्क ने कुछ लोगों का विकल्प सुधार दिया उनका छोड़ दिया 

खास बात ये है कि पीड़ित सिपाहियों के आवेदन पर पुलिस अकादमी ने अक्टूबर 2024 में पुलिस मुख्यालय को पत्र भी लिखा है फिर भी कोई समाधान नहीं निकला, एक सिपाही ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि विकल्प चयन के समय हमारे साथ हमरे ही बैच में अन्य सिपाहियों 01/01/2016 का ही विकल्प चुना था क्योंकि सभी को यही फॉर्म दिए गए लेकिन वेतन क्लर्क ने बाद में कुछ सिपाहियों को वेतन विकल्प सुधारकर 01/07/2016 कर दिया जिससे उन लोगों का बेसिक वेतन 29,400 रुपये तक हो गया यदि वेतन क्लर्क हमें भी जानकारी दे देते तो हमारा फिक्सेशन 27,700 रुपये पर नहीं होता, ये सिपाही गुहार लगा रहे हैं कि उनकी वेतन विसंगति दूर हो और एक समान वेतन का लाभ उन्हें मिले।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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