भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। एमपी (Madhyapradesh) में 27 सीटों पर उपचुनाव (By-election) होना है, कांग्रेस (Congress) इन चुनावों के सहारे कमबैक करने की तैयारी में है, लेकिन पार्टी में आपसी कलह कम होने का नाम नही ले रही है।बीजेपी की तरह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उपेक्षा किए जाने से नाराज हो रहे है और उनका दर्द मीडिया के सामने छलक रहा है। अब नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाए जाने मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह (Former Minister and Senior Congress MLA Dr. Govind Singh) का दर्द छलका है।
मीडिया से चर्चा करते हुए गोविंद सिंह ने कहा कि मुझमें कोई कमी दिखी होगी इसलिए मुझे नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया गया।नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला पार्टी को लेना था, मैं लायक नही हूं इसलिए नेता प्रतिपक्ष नही बनाया होगा। समय से पहले भाग्य से ज्यादा किसी को नही मिलता।मैं कर्म पर विश्वास करने वाला हूं फल की चिंता नही करता। राजनीति में हर किसी की महत्वकांक्षा होती है , हमारे पार्टी के नेता को महसूस हुआ होगा कि मुझसे वो योग्यता नही है, इसलिए मुझे नेता प्रतिपक्ष नही बनाया गया।वही उन्होंने आगे कहा कि परिक्रमा करने वालों की ज्यादा पूछ-परख है।मैं परिक्रमा करने वाला या किसी गुट का आदमी नही हूं। कांग्रेस में भी कई कमियां है , जिसका असर उपचुनावों पर पड़ेगा।
सिंधिया समर्थक मंत्री के ऑफर पर बोले
शिवराज सरकार में परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने हाल ही में इशारों ही इशारों में डॉ. गोविंद सिंह को ऑफर दिया था, और कहा था कि पार्टी में उपेक्षित हैं, कांग्रेस मंत्रिमंडल में उनको सहकारिता जैसे कमजोर विभाग दिए गए, विपक्ष में होने के नाते डॉक्टर गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष होने के मजबूत दावेदार थे, लेकिन कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष की कमान अपने हाथ में रख कर डॉक्टर गोविंद सिंह को उपेक्षित किया। अब मौका है कि डॉक्टर गोविंद सिंह भी कोई फैसला लेकर पार्टी को जवाब दें।इस पर गोंविद सिंह ने राजपूत की सहानुभूति जताने पर धन्यवाद दिया है और कहा कि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से मेरे पारिवारिक रिश्ते है, लेकिन राजपूत मेरे राजनीतिक सलाहकार नहीं जो मैं उनकी सलाह को मानूं। साफ शब्दों में कहे तो उन्होंने राजपूत के ऑफर को ठुकराया दिया।
बता दे कि डॉक्टर गोविंद सिंह ग्वालियर चंबल से कांग्रेस पार्टी का बड़ा चेहरा और कांग्रेस के सीनियर विधायक है।यह पहला मौका नही है जब उनका दर्द छलका हो, इसके पहले भी पार्टी द्वारा उपेक्षित किए जाने पर उन्होंने खुलकर मीडिया के सामने अपनी बात रखी है। हाल ही ग्वालियर में आयोजित हुए कांग्रेस के सदस्यता अभियान में भी वे उठकर चले गए थे, जिसको लेकर चर्चाओं का बाजार जमकर गर्म भी हुआ था। सुत्रों की माने तो बार बार उपेक्षा किए जाने से गोविंद सिंह नाराज हो गए है, हालांकि पार्टी उन्हें मनाने की पूरी कोशिश में जुटी हुई है।वही बीजेपी भी गोविंद सिंह के समर्थन में उतर आई है। अब देखना होगा कि गोविंद सिंह की नाराजगी का असर उपचुनाव पर कितना पड़ता है, या फिर इसके पहले ही कांग्रेस उन्हें मनाकर सारे गिले -शिकवे दूर कर लेगी।