नवजात बच्चों की मौत पर शिवराज ने कमलनाथ सरकार को घेरा

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भोपाल। देश के अलग अलग राज्यों से जिला अस्पतालों में नवजात बच्चों की मौत के बड़े आंकड़े सामने आए हैं, जिन्होंने शासकीय अस्पताल में अव्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। अब मध्यप्रदेश में भी सरकारी अस्पताल में व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बच्चों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश के अस्पतालों की हालत भी ठीक नहीं है। सिंगरौली और खंडवा के बाद अब रतलाम के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं। जहां जिला अस्पताल में 40 दिन में 61 बच्चों की मौत हो गई। यह आंकड़ा 26 नवंबर से 6 जनवरी के बीच का है। झाबुआ जिला अस्पताल के शिशु गहन चिकित्सा इकाई में भी साल 2019 में 195 बच्चों की मौत हुई। 

प्रदेश में ध्वस्त स्वास्थ्य सुविधा और नवजात बच्चों की मौत के मामले में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार पर हमला किया है। साथ ही उन्होंने बच्चों के ईलाज के लिए उचित कदम उठाने की मांग भी की है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में बच्चों की मौत दिल दहला देती है। रतलाम और झाबुआ में जितने नवजात बच्चे असमय काल कवलित हो गए, मौत के मुंह में समा गए यह देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बच्चों के मरने का क्रम जारी है। लेकिन मुख्यमंत्री और सरकार सो रही है। शिवराज सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को रेत का धंधा और शराब का धंधा चलाने से फुरसत  नहीं है। प्रदेश सरकार तबादला करने में व्यस्त है, एक ओर प्रदेश लुट रहा है, बच्चे मर रहे है और सरकार सो रही है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। मैं मुख्यमंत्री और सरकार से मांग करता हूं कि तत्काल स्थिति पर ध्यान दें, उचित कदम उठाएं और बच्चों का इलाज करवाएं ताकि मौत का यह सिलसिला रुके।


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