13 साल में मिले तोहफे और मोमेंटो को नीलाम कर फंड जुटा रहे शिवराज, कांग्रेस ने उठाए सवाल

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भोपाल।

अपने 60  वें जन्मदिन पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा गरीबों के हित में एक संकल्प लिया है, जिसके तहत वे देश-विदेश से मिले सैकड़ों तोहफे और स्मृति चिन्हों की नीलामी करेंगें और इससे जो पैसा आएगा उसे गरीबों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। नीलामी का कार्यक्रम आज सुबह चौहान के 74 बंगले स्थित निवास पर रखा गया, जिसमें पांच मोमेंटों हाथोहाथ भी बिक भी गए है। जिस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए है। कांग्रेस का कहना है कि शिवराज  यूं सरेआम प्रदर्शनी लगाकर मोमेंटो नही बेच सकते है।उन्हें इन्हें सरकारी खजाने में जमा करवाना चाहिए था।ये नियम के विरुद्ध है। 

दरअसल, आज सुबह अपने जन्मदिन पर चौहान ने घोषणा की थी कि 13 वर्षों तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान उन्हें देश-विदेश से सैकड़ों तोहफे और स्मृति चिन्ह मिले हैं। वे उन्हें अपने साथियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को देंगें। अब इनकी नीलामी की जा रही है। भोपाल में भी इस तरह का आयोजन हुआ जिसमें सीएम रहते शिवराज को मिले तोहफे नीलाम किए गए। नीलामी से मिलने वाला सारा पैसा इसी कोष में जमा होगा। जिससे गरीबों का इलाज किया जाएगा।इस पर मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने सवाल उठाते हुए कहा है कि शिवराज जी को नियमानुसार मुख्यमंत्री के रूप में मिले उपहारो व स्मृति चिन्हों को सरकारी ख़ज़ाने में जमा कराना था।उन्हें अपने पास रखना व बेचना नियम विरुद्ध कार्य है। वैसे भी उनके 15 वर्ष के कार्यकाल में तो घोटालों की भरमार रही फिर ग़रीबों व असहाय की मदद के लिये किस बात की कमी ? आगे सलूना ने कहा कि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद शिवराज जी प्रदेश भर में चार्टर से निरंतर दौरे कर रहे है। जिनका ख़र्च लाखों में ?और ग़रीबों , असहाय व निर्धन लोगों की मदद के लिये बेचारे स्मृति चिन्ह बेचकर धनराशि जुटा रहे है ? केसा दोहरा चरित्र ?

आपको बता दें कि शिवराज सिंह चौहान 13 सालों तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्हें सैकड़ों की संख्या में तोहफे और स्मृति चिन्ह मिले। अब इन्हीं तोहफों और स्मृति चिह्नों को नीलाम किया जा रहा है। शिवराज सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते उन्होंने गरीबों और असहाय लोगों के लिए कई योजनाएं शुरू की और कोशिश की कि गरीबों की हरसंभव सहायता की जा सके। अब चूंकि वो मुख्यमंत्री नहीं हैं, बावजूद इसके गरीबों के लिए कुछ करना चाहते हैं। इसलिए सीएम के तौर पर मिले स्मृति चिन्हों को दान करके जो राशि एकत्र होगी उससे निर्धन और असहाय पीड़ितों की सहायता की जाएगी।


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