मप्र इलेक्शन : भाजपा के चुनावी ‘दृष्टि पत्र’ से पेंशनर्स और संविदाकर्मियों में निराशा

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भोपाल

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए दोनों दलों कांग्रेस और भाजपा ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है।दोनों ही दलों द्वारा जनता से हजारों वादे किए गए है। घोषणा पत्र में महिलाओं, युवा और किसानों को फोकस किया गया है। कांग्रेस ने इसे वचन पत्र तो बीजेपी ने इसे दृष्टि पत्र का नाम दिया है।कांग्रेस ने जहां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी सहायिका औऱ आशा कार्यकर्ताओ को नियमित करने का वचन दिया है, वही बीजेपी ने पेंशनर्स और संविदाकर्मियों के लिए कोई घोषणा न कर उन्हें निराश किया हैं। बीजेपी के दृष्टि पत्र में ना तो एरियर को लेकर कोई बात कही गई है और ना ही चिकित्सा भत्ता जैसी घोषणाओं पर विचार किया गया है।

दरअसल, प्रदेश में साढ़े चार लाख से ज्यादा पेंशनर्स हैं। वे लंबे समय से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे संविदाकर्मी भी नियमित कर्मचारियों की तरह भत्तों की जगह सेवा में आने के समय से नियमितीकरण की आस लगाए बैठे थे, उन्हें उम्मीद थी कि बीजेपी के घोषणा पत्र में उनके लिए ढेरों सौगाते होंगी, इसके लिए उनके द्वारा आंदोलन तक किए गए थे, लेकिन चुनाव से पहले ही भाजपा ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हालांकि, भाजपा ने विभिन्न संवर्गों की वेतन विसंगति को दूर करने वेतन आयोग के गठन की घोषणा करके बड़े वर्ग को साधने की कोशिश जरूर की है।वहीं, दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ सरकार ने भाजपा ने घोषणा पत्र में छठवें और सातवें वेतनमान का एरियर देने, एक हजार रुपए चिकित्सा भत्ता देने, दोनों राज्यों की बीच सहमति में लगने वाले समय को देखते हुए एक आईएएस अफसर को तैनात करने जैसी घोषणा की है। इसको लेकर संविदाकर्मियों और पेंशनर्स में आक्रोश है।उनका मानना है कि भाजपा के दृष्टिपत्र से पेंशनर्स में निराशा का माहौल है। इतने बड़े वर्ग को लेकर एक बात भी नहीं कही गई।जिसका असर चुनाव में जरुर देखने को मिलेगा।


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