इंदौर।
42 करोड़ के आबकारी घोटाले को लेकर अब जांच तेज हो चली है। शुक्रवार को जहां इंदौर के आबकारी घोटाले मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी विजय कुमार श्रीवास्तव को गिरफ्तार किया। वही आज शनिवार को जांच के लिए दिल्ली से कैग की टीम इंदौर पहुंची है । टीम ने जिला ट्रेजरी के रिकॉर्ड खंगालने का काम शुरू कर दिया है।इसके लिए कैग की टीम ने 2015, 2016 और 2017 तक के दस्तावेज मांगे है।टीम को आशंका है कि घोटाले में आबकारी के अलावा ट्रेजरी महकमे का गठजोड़ हो सकता है।
दरअसल, यह घोटाला वर्ष 2015 से जुलाई 2017 के बीच का है। इसमें कई शराब ठेकेदारों के लगभग 42 करोड़ रुपए के फर्जी चालान आबकारी विभाग के पास जमा हुए थे।जबकी ये पैसा शासन को पहुंचना था।आबकारी विभाग ने घोटाले की राशि में से आधे से अधिक पैसा वसूल कर लिया है लेकिन लगभग 19 करोड़ की राशि अब भी वसूलना है। इसी के चलते दिल्ली से कैग की टीम जांच के लिए इंदौर पहुंची है। टीम ने 2015-2017 के दस्तावेज मांगे है।फिलहाल टीम मामले की जांच कर रही है। फर्जी चालान की बची हुई राशि वसूलने के लिए ठेकेदारों की संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इस मामले में आबकारी विभाग के कुछ अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है।
बता दे कि बीते साल इस मामले में तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त संजीवकुमार दुबे, सहायक जिला आबकारी अधिकारी धर्मेंद्रसिंह सिसोदिया, सुखनंदन पाठक, आबकारी उप निरीक्षक कौशल्या साबनानी, मुख्य लिपिक डीएस परमार और कर्मचारी अनमोल गुप्ता को निलंबित किया गया था। घोटाले की जांच क्राइम ब्रांच ने भी की। घोटाले के आरोपित शराब ठेकेदार अभिषेक शर्मा को गुजरात से गिरफ्तार किया गया था।फिलहाल मामले की जांच की जा रही है।