भोपाल।
एक बार फिर व्यापमं का नाम बदलने की चर्चा जोरों पर है।एक बार फिर प्रदेश की कमलनाथ सरकार इसका नाम बदलने जा रही है।इससे पहले पिछली शिवराज सरकार ने इतिहास के सबसे बड़े घोटाले के बाद व्यापमं का नाम बदल कर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) कर दिया था, वही अब सत्ता में आते ही कांग्रेस ने फिर से इसका नाम बदलने की तैयारी कर रही है। खबर है कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार पीईबी को नया नाम ‘राज्य कर्मचारी चयन आयोग’ देने के मूड में है। इसके लिए आज बुधवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ , मंत्री बाला बच्चन के साथ बैठक करेंगें। जल्द ही यह प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा जाएग और फिर नाम परिवर्तित किया जाएगा।
दरअसल व्यापमं. घोटाला सामने आने के बाद प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में भी भूचाल आ गया था। घोटाले में बड़े स्तर पर धांधली और मामले से जुड़े 47 से ज्यादा लोगों की संदिग्ध मौत के बाद शिवराज सरकार चौतरफा घिरी गई थी। आरोप के कई छींटे बीजेपी नेताओं समेत शिवराज के परिवार पर भी लगे थे। विपक्ष कांग्रेस ने शिवराज के इस्तीफे तक की मांग कर दी थी, इसके बाद दाग धोने के लिए शिवराज सरकार ने व्यापमं से इसका नाम बदलकर पीईबी कर दिया था।बीते विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज को घोटाले में क्लीनचिट भी मिल गई थी।चुनाव के दौरान कांग्रेस ने सत्ता में आते ही फिर से जांच करवाने की बात कही थी। इसको लेकर बीते दिनों सड़क से लेकर सदन तक हंगामा भी हुआ था, लेकिन मामला ठंड़ा पड़ गया। अब निकाय चुनाव से पहले फिर कांग्रेस इसकी नाम बदलने की तैयारी कर रही है। खबर है कि इसका नाम राज्य कर्मचारी चयन आयोग कर दिया जाएगा। इसके लिए तकनीकी शिक्षा विभाग ने फाइल तैयार कर ली है जो जल्द ही राज्य शासन को भेजी जाएगी।
बंद नही होगा व्यापंम
पहले व्यापंम को बंद करने की तैयारी थी , लेकिन सरकार ने अब इसका नाम बदलने का फैसला किया है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले अपने वचन पत्र में पीईबी को बंद करने की बात कही थी। कांग्रेस का मानना था व्यापमं घोटाले की वजह से इसकी छवि धूमिल हुई है, इसलिए बंद किया जाना चाहिए। हालांकि अब कांग्रेस सरकार का मानना है कि इसे बंद न कर सिर्फ नाम बदल दिया जाए।
31 सदस्यों की बनेगी कमेटी, दो विधायक भी होंगें शामिल
खबर है कि इसमें 31 सदस्य होंगे। जिसमें 14 पदेन सदस्य, 11 मनोनीत और 7 बोर्ड के कार्यकारी सदस्य रहेंगे।पीईबी के आयोग बनने बाद दो विधायक भी सदस्य के तौर पर नियुक्त किए जाएंगे। कार्यकारी सदस्यों में अध्यक्ष, पीएस तकनीकी शिक्षा, वित्त व चिकित्सा शिक्षा, आरजीपी कुलपति, निदेशक व्यापमं और तकनीकी शिक्षा होंगे। इसी तरह शासन 11 सदस्यों को मनोनीत करेगी। कुछ अधिकारियों को पदेन व कार्यकारी सदस्य की भूमिका निभाना होगी। आयोग के अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे तो ऐसी स्थिति में किसी अन्य को उपाध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। यदि मुख्यमंत्री अध्यक्ष नहीं होंगे तो फिर इसमें किसी और को अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा। आयोग में तकनीकी शिक्षा मंत्री की भूमिका भी महत्वपूर्ण रहेगी