भोपाल।
शिवराज सरकार में पातालकोट की जमीन निजी कंपनी को देने के मामले में अब आदिवासियों ने कमलनाथ सरकार चिट्ठी लिख अपनी व्यथा सुनाई है। उन्होंने लिखा है कि हमें उजाड़कर यूरिका को जमीन देकर सरकार कौन सा विकास मॉडल बनाना चाहती है।हमने पिछली सरकार पर भरोसा किया और उन्होंने हमारे साथ छल किया और जमीन बेच दी। इसलिए हमने आपको चुना ताकी हमें न्याय मिल सके। उन्होंने कहा है कि हमें उम्मीद है कि इस सौदे को आप निरस्त कर नया विकास मॉडल बनाकर हमारे बच्चों को रोजगार देकर देंगें।
दरअसल, पातालकोट की सौदेबाजी का खुलासा होने के बाद आदिवासियों में रोष व्याप्त हो गया है। उन्होंने सोमवार को प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी व्यक्त की । साथ ही मुख्यमंत्री कमलनाथ के नाम एक मार्मिक चिट्ठी लिख यूरिका से जमीन का सौदा निरस्त कर एक नया विकास मॉडल बनाने की मांग की। आदिवासियों ने खत में लिखा है कि बीजाढाना में पर्यटन विभाग ने साल 2013 में आदिवासियों से करीब 8 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित कर ली थी और दावा किया था कि सरकार आदिवासियों युवाओं को ट्रेनिंग दिलाकर पैराग्लाइडिंग,पैरासिलिंग और घुड़सवारी के जरिए रोजगार देंगें। साथ ही यह कहा था कि यहां आने वाले पर्यटक आदिवासियों से जड़ी-बूटियां खरीदेंगें तो इससे उन्हें आर्थिक लाभ होगा।लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ। सरकार ने 20 साल के लिए जमीन लीज पर दे दी और अब कंपनी वाले लोग हमें वहां घुसने तक नही देते है । कंपनी ने वहां नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया है।इसलिए हमने आपकी सरकार को चुना ताकी हमें हमारा हक मिल सके। हमारी मांग है कि आप भाजपा सरकार में हुए इस सौदे को निरस्त कर हमारे बच्चों के रोजगार के लिए बीजाढा़ना में नया विकास मॉडल बनाएंगें, ताकी उनका भविष्य सवंर सके।
विधायक ने भी जताया विरोध
इस पूरी सौदेबाजी पर अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह ने भी विरोध जताया है। उन्होंने कहा है कि पिछली सरकार ने जो भी किया उसका खुलासा किया जाएगा। इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएंगें ,ताकी पूरा सच जनता के सामने आ सके।वही पूर्व विधायक मनमोहन शाह बट्टी ने भी मुख्य सचिव से कंपनी द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग की है।उन्होंने इस सौदे को अनुच्छेद 244 (1) और पांचवी अनुसूची का उल्लंघन बताया है।
पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव पर गिर सकती है गाज
भाजपा कार्यकाल में हुए पातालकोट की सौदेबाजी को लेकर एक के बाद सच सामने आ रहे है।बताया जा रहा है कि दिल्ली की कंपनी से जो लीज का अनुबंध किया गया है वो भी नियम के विरुद्ध किया गया है। पर्यटन नीति 2016 के तहत साहसिक गतिविधियों के लिए अधिकतम 15 साल के लिए ही जमीन लाइसेंस पर दी जा सकती थी, लेकिन नियमों को ताक पर रख पर्यटन प्रमुख सचिव रहे हरिरंजन राव कंपनी को 20 साल के लिए लीज पर दे दिया। इसमें स्टॉम्प ड्यूटी की चोरी से लेकर मूलभूत नियमों को भी दरकिनार करने की बात निकलकर सामने आ रही है।चुंकी लाइसेंस अनुबंध पर दी जाने वाली जमीन पर कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से 1 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी देना अनिवार्य है, जो कि नही लिया गया।खबर है कि यह पूरा सौदा राव द्वारा सरकार की नाक के नीचे किया गया।बताया जा रहा है कि पर्यटन निगम की बोर्ड बैठक में भी पूरे अधिकार हरिरंजन के पास ही रहे। जून 2017 में जब बोर्ड की पहली बैठक हुई, तब अध्यक्ष सीएम को मनोनीत किया गया था, लेकिन एमडी के तौर पर सारे अधिकार राव ने ले लिए।इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने हरिरंजन राव के खिलाफ कार्रवाई के लिए सीएम को पत्र लिखा है। अनुमान लगाया जा रहा है कि राव पर ग���ज गिर सकती है।
जांच करवाएगी कमलनाथ सरकार
पातालकोट को लीज पर दिए जाने के मामले में कमलनाथ सरकार अब जांच करवाने की तैयारी में है।खबर है कि मुख्यमंत्री सचिवालय ने लीज से जुड़े सारे दस्तावेज तलब कर लिए हैं।अब दस्तावेजों को जांच आगे की कार्रवाई की जाएगी। अगर इस मामले की कमलनाथ सरकार जांच करवाती है तो कई ब़ड़े अधिकारी इस मामले में फंस सकते है। वही पूर्व पर्यटन मंत्री और पर्यटन विकास निगम के तत्कालीन अध्यक्ष से जब इस बारे में बात कि गई तो उनका कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पूर्व अध्यक्ष और मंत्री को भनक लगे बिना ही इसका सौदा हो गया। अगर ऐसा है तो इसके पीछे जिम्मेदार कौन।आखिर इसका सौदा किया किसने।एक अख़बार में छपी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि शिवराज सरकार में पर्यटकों के लिए ख़ास स्थलों में से एक छिंदवाड़ा जिले के पातालकोट का ऊपरी गांव बीजाढाना दिल्ली की एक कंपनी को 20 साल के लिए 11 लाख में लीज पर दे दिया गया है। जिसके बाद से ही हड़कंप मच गया है।
ये है पूरा मामला
दरअसल, यह क्षेत्र मुख्यमंत्री कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र छिंदवाड़ा में आता है। पातालकोट के ऊपरी गांव बीजाढाना (रातेड़ पाइंट) की 7.216 हेक्टेयर भूमि 2009 में झमीलाल, इंदरशा, गोविंद, मंदर, गोरखशा, गोरखलाल और अन्य आदिवासियों के नाम थी। पहले तो सरकार ने पर्यटन विकास के लिए इसे अधिगृहीत कर उन्हें बेदखल कर दिया जबकी नियम के अनुसार इसका सीधा सौदा नही किया जा सकता। इसके बाद राज्य पर्यटन विकास निगम ने इस जमीन को विकसित कर सितंबर 2017 में इसे दिल्ली की फर्म यूरेका केम्पआउट्स प्राइवेट लिमिटेड को बीस साल के लिए 11 लाख में इसे लीज पर दे दिया। उससे एक लाख 10 हजार रुपए प्रति वर्ष लीज रेंट देने का करार किया गया। कंपनी को एडवेंचर्स क्षेत्र विकसित करने के लिए 18 माह का समय दिया है।जबकी पर्यटकों के लिए सड़क, बिजली, पानी, बाउंड्रीवॉल और प्लेटफार्म जैसी सुविधाएं पहले ही सरकार ने मुहैया करा करा रखी है।वही यह बात भी सामने आई है कि पर्यटन विकास निगम की तत्कालीन प्रबंध संचालक छबि भारद्वाज ने इस सौदे का प्रस्ताव दो बार लौटा दिया था, लेकिन पर्यटन सचिव हरिरंजन राव जमीन को दिल्ली की फर्म को लीज पर देने पर अड़े रहे। उनके दबाव में खुद छिंदवाड़ा कलेक्टर फर्म को जमीन सुपुर्द करने पातालकोट पहुंचे थे।
नो एंट्री का लगा दिया है बोर्ड
पातालकोट अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है। इस पाइंट से पातालकोट की गहराईयों को आसानी से देखा जा सकता है। पहले हजारों की तादाद में यहां पर्यटक आते थे और पहाड़ीनुमा सड़क से ऊपर चढ़ इसकी गहराईयों को देखते थे, लेकिन अब यहां पर्यटकों और आदिवासियों के लिए इसे बंद कर दिया गया है।यहां नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया गया है।यह मुख्यमंत्री कमलनाथ का संसदीय क्षेत्र कहलाता है।इस मामले में पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल का कहना है कि वे इस संबंध में मुख्यमंत्री कमलनाथ से चर्चा करेंगें। तामिया पर्यटन क्षेत्र में आम लोगों का प्रवेश और ग्रामीणों का रास्ता कैसे रोका गया है, इस बारे में भी अफसरों से जवाब-तलब किया जाएगा।