भोपाल। प्रदेश की आंगनबाड़ियों में पढऩे वाले बच्चों को किताब और खिलौने के नाम पर एक बड़े घोटाले की आहट सुनाई देने लगी है। महिला बाल विकास ने कुल 60 करोड़ के दो टेंडर जारी किए हैं। यह टेंडर किसे मिलेंगे यह पहले से ही तय हो गया है। इन टेंडरों में लघु उद्योग निगम ने पारदर्शिता का पालन नहीं किया है। मजेदार बात यह है कि टेंडर केवल वही फर्म भर सकती है जो किताबे भी छापती हो और खिलौने भी बनाती हो। पूरे भारत में शायद ही ऐसी कोई फर्म होगी जो छोटे बच्चों की किताबों का प्रकाशन करती हो और बच्चों के खिलौने भी बनाती हो। यह मामला इंदौर हाईकोर्ट में भी पहुंच गया है।
मप्र की आंगनवाडिय़ों में पढऩे वाले बच्चों के लिए किताबों और खिलौनों के के लिए लघु उद्योग निगम ने दो तरह के सेट का टेंडर जारी किया है। एक सेट में 88 आइटम रखे हैं दूसरे में 40 आइटम का सेट है। दोनों की अनुमानित कीमत 60 करोड़ रुपए है। मजेदार बात यह है कि टेंडर में जो किताबे मांगी गई हैं उनके प्रकाशक का पता यूएई और यूएस में बताया गया है। सूत्रों के अनुसार इंदौर का एक दलाल इस पूरी प्रक्रिया के पीछे काम कर रहा है। इस दलाल के अनुसार ही केन्द्र की शर्तें, आइटम का प्रकार, आइटम की संख्या आदि तय की गई है। बताया जाता है कि पहली बार ऐसा टेंडर जारी हुआ है जिसमें प्रिंटर और खिलौना कंपनी एक ही होना चाहिए। जबकि इसके पहले खिलौने अलग कंपनी से और किताबें अलग कंपनी से ली जाती थीं।
दुबे ने की रोकने की मांग
भोपाल की आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने इसे 2019 का पहला 68 करोड़ का घोटाला बताते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ से इसे रोकने की मांग की है। उन्होंने इंदौर के किसी तिवारी का दिमाग इसके बताया है।
एलयूएन ने टेंडर जारी किए हैं। यूएई और अमेरिका के सप्लायर्स से किताब और खिलौने लेने का तो सवाल ही नहीं उठता है।
जेएन कंसोटिया, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग