आपको यह जानकर हैरानी होगी जिन कागजों का हम इस्तेमाल करते हैं उनको बनाने में किस बेरहमी से पेड़ों की हत्या होती है। एक पेड़ से करीब 8333 पेपर तैयार होते हैं और एक पेपर तैयार करने में 10 लीटर पानी खर्च होता है। वहीं एक पेड़ से सालाना 117 किलोग्राम ऑक्सीजन पैदा होती है और 22 किलोग्राम कार्बन पेड़ सोख लेता है। यानी साफ तौर पर यदि कागजों का इस्तेमाल कम से कम हो या ना हो तो इतनी बड़ी संख्या में पेड़ बचाए जा सकेंगे, यह अनुमान लगाया जा सकता है।
पिछले 25 सालों से पर्यावरण के लिए अपना जीवन समर्पित कर चुके प्रदेश के कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी ने मुख्यमंत्री को यह सुझाव दिया है कि सरकारी कामकाज में कागज का दोनों तरफ से प्रयोग किया जाए, ताकि हर साल हजारो पेड़ों की न केवल रक्षा हो सके बल्कि पर्यावरण भी बचाया जा सके। तिवारी ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री को लिखा है कि सरकार के समस्त कार्यालय और निगम मंडलों में जो कार्य होता है उसमें यह देखा गया है कि कागज का प्रयोग एक ही तरफ किया जाता है और इसके चलते कागज की खपत लगातार बढ़ रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि शासन के समस्त विभागों और निगम मंडलों में कागज का प्रयोग दोनों तरफ से करने से कागज की खपत कम होगी और शासकीय धन व पेड़ों का जीवन और पर्यावरण के साथ-साथ जल भी बचाया जा सकेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वे इस संबंध में शासन के समस्त विभागों को निर्देश जारी करें।
उमाशंकर तिवारी का यह सुझाव सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में चल रहे विचारों की ही श्रृंखला है। कानून मंत्रालय तो पूरी तरह से पेपरलेस वर्क करने पर विचार कर रहा है जिससे साल में न केवल 282000 पेड़ बचाएंगे बल्कि 2355 करोड़ लीटर पानी की बचत होगी साथ ही 3.39 करोड़ किलोग्राम ऑक्सीजन भी पैदा होगी।