भोपाल। उर्दू विद्यार्थियों से लगातार किए जा रहे शिक्षा विभाग के छल ने स्टुडेंट्स के माथे पर इस साल भी शिकन डाल दी है। उर्दू के प्रश्र पत्र में एक चौथाई सवाल सिलेबल के बाहर के शामिल कर विद्यार्थियों को पसोपेश में डाल दिया है। जिम्मेदारों के रटे-रटाए जवाब, कि मानवीय गलती से हो गया, बच्चों को बोनस अंक देकर उनके रिजल्ट को सुधारने की कोशिश की जाएगी, पर बच्चों और उनके अभिभावकों का प्रश्न है कि परीक्षा केन्द्र से घर लौटते समय रास्ते में बड़ा तालाब भी पड़ता है, किसी बच्चे ने डिप्रेशन में आकर कोई आत्मघाती कदम उठा लिया तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?्
कक्षा 11वीं की अद्र्धवार्षिक परीक्षा का उर्दू का पर्चा इस बार फिर गल्तियों का अंबार लेकर आया। मंगलवार को आयोजित इस परीक्षा में पूछे गए 100 अंकों के प्रश्रों में से करीब 23 अंक के सवाल सिलेबस के बाहर के थे। जिनके जवाब देना विद्यार्थियों के लिए मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव ही थे। विद्यार्थियों द्वारा आउट ऑफ सिलेबस आए प्रश्रों और बाकी प्रश्रों में मौजूद उर्दू की गल्तियों की तरफ पर्यवेक्षकों और परीक्षा केन्द्र में ड्यूटी कर रहे अध्यापकों का ध्यान दिलाया तो उन्हें रटा-रटाया सा जवाब मिला, कि मानवीय गलती से यह हो गया है, इसके बदले बच्चों को बोनस अंक दे दिए जाएंगे।
गल्तियों का सिलसिला लंबा
जानकारी के मुताबिक कक्षा 11वीं को दिए गए प्रश्र पत्र में दर्जनों गल्तियां थीं। इसके अलावा कुल 23 अंक के सवाल ऐसे थे, जो सिलेबस के बाहर से लिए गए थे। इनमें प्रश्र क्रमांक एक से तीन तक कुल 4 नंबर के, प्रश्र क्रमांक 6, प्रश्र क्रमांक 9, 10, 20 और 22 शामिल था। गौरतलब है कि इससे पहले भी पिछले सालों में लगातार उर्दू पर्चों में भाषा की ढ़ेरों गल्तियां होती रही हैं। लोक शिक्षण संचालनालय के अधिकारियों को कई बार इस बारे में अवगत कराने के बाद भी सुधार के कोई प्रयास नहीं किए गए हैं।
क्यों हो रही समस्या
सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से उर्दू शिक्षकों की भर्ती न हो पाने से अधिकांश उर्दू स्कूल बंद होने की कगार पर हैं। जो उर्दू स्कूल संचालित हो रहे हैं, उनमें शिक्षकों की उपलब्धता नहीं है। कुछ साल पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पूरे देश के स्कूलों को सर्कूलर जारी कर अपने यहां पढऩे वाले बच्चों में उर्दू पढऩे वालों की तादाद की जानकारी मांगी थी। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि हर ऐसे स्कूल में, जहां उर्दू पढऩा चाहने वाले बच्चों की तादाद 15 या उससे ज्यादा है, वहां उर्दू शिक्षक नियुक्त किया जाए, लेकिन इस आदेश पर अब तक अमल नहीं हो पाया है। इधर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी अपने वचन पत्र में उर्दू शिक्षकों की भर्ती का वचन दिया था, लेकिन यह वचन भी चुनावी ऐलान से आगे कदम नहीं बढ़ा पाया है।