भोपाल।
देश समेत मध्यप्रदेश में आसमान से आग गोले बरस रहे है और इस भीषण गर्मी में जबरदस्त जलसंकट देखने को मिल रहा है।एमपी के अधिकतर जिलों में लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाने को लिए मजबूर हो रहे है। राजधानी भोपाल की बात की जाए तो यहां के हाल तो और भी बुरे हो चुके है। शहर में जितने भी जल स्त्रोत में आखिरी सांस ले रहे है, जिससे आने वाले समय में स्थिति और भायवाह हो सकती है निगम ने पहले कोई रोडमैप बनाया नहीं और अब बैठक कर पर मंथन किया जा रहा है कैसे शहर जलसंकट से बाहर निकाला जाए।
राजधानी चार जलस्तत्रोत के भरोसे है नर्मदा,कैरवा डैम, कोलार डैम, और बड़ा तालाब लेकिन चार की हालत खराब हो चुकी है बड़ा तालाब डैड लेवल से निचे पहुंच चुका है जिसके बाद अब पुराने शहर में जहां बड़े तालाब से पानी की सप्लाई होती है वहां सबसे ज्यादा स्थिति विकराल हो सकती है।कलियासोत डैम और कैरवा डैम की भी यहीं स्थिति बनी हुई है दोनों डैम में भी 15 से 20 दिन का पानी बचा है। उधर मौसम विभाग ने पहले ही संभावना जता दी है कि इस बार मानसून 15 जून के बजाए 20 जून के आसपास आएगा।
जल स्त्रोतों की यह है स्थिति
1. बड़े तालाब का पानी डैड लेवल स्टोरेज (1652) के नीचे (1650.70) पहुंच चुका है 2018 में ये स्थिति 28 मई को बनी थी।
2. कैरवा डैम में 0.7 मिलियन क्यूब पानी बचा है जो सिर्फ एक हफ्ते का है।
3. कोलार डैम का डेड स्टोरेज लेवल (500.79) मीटर के करीब पहुंच चुका है, आने वाले दिनों यहां से सप्लाई मुश्किल होगी।
शहर के कई इलाकों में लोग टैंकर और पानी खरीदकर अपना काम चला रहा है लेकिन सवाल निगम परिषद में उठ रह है क्योंकि निगम को पहले से पता था कि बारिश कम हुई है और गर्मी में जलसंकट बढ़ेगा उसके बाद बावजूद भी एक दिन छोड़कर पानी देने के अधिकारियों के प्रस्ताव को लटका रखा और बैठक कर रह है और दूसरी तरफ जनता परेशान हो रही है।