Bopal Desk–मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय (Urban Body) के चुनाव कब होंगे, इस बात का निर्णय कल उच्च न्यायालय ग्वालियर खंडपीठ में होने की संभावना है। दरअसल प्रदेश के 81 नगरीय निकायों (Urban Body) में से मुरैना और उज्जैन नगर निगम सहित 79 निकायों के महापौर-अध्यक्षों के आरक्षण को लेकर मामला लंबित है। सरकार सोमवार को हाईकोर्ट मे अपना जवाब पेश करेगी और उसके बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। मध्य प्रदेश के 407 नगरीय निकायों (Urban Body) में से 344 में चुनाव होने हैं और इनमें 16 नगर निगम भी शामिल है।
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कमलनाथ सरकार ने कोरोना संक्रमण के चलते नगरीय निकाय (Urban Body) चुनाव टाल दिए थे और शिवराज सरकार ने भी इसी वजह से नगरीय निकाय (Urban Body) चुनावों को फिर आगे बढ़ा दिया था। उसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार को नगरीय निकाय (Urban Body) चुनाव जल्द कराने के निर्देश दिए और सरकार ने 3 मार्च 2021 तक वोटर सूची पुनरीक्षित करके चुनाव आयोग को नगरीय निकाय (Urban Body) चुनाव के लिए हरी झंडी भी दे दी। लेकिन इस बीच ग्वालियर हाई कोर्ट की खंडपीठ में मुरैना,उज्जैन के महापौर सहित 81 नगर पालिकाओ के नगर परिषद के अध्यक्ष पद के आरक्षण पर याचिका लगा दी गई और इससे यह कहकर चुनौती दी गई कि इसमें रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। इसी आरक्षण को चुनौती देने वाली एक और याचिका इंदौर खंडपीठ में लगाई गई। एक पार्षद रुस्तम चौधरी और एक पूर्व पार्षद सुरेंद्र कुमार ने अपनी याचिका में यह दलील दी कि नगरीय निकाय (Urban Body) चुनाव में आरक्षित की गई सीटों पर लंबे समय से चले आ रहे आरक्षण को दोहराया गया है। इसमें रोटेशन का पालन नहीं किया गया जबकि संविधान में व्यवस्था की गई है कि रोटेशन प्रक्रिया का पालन होना चाहिए।
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ग्वालियर और इंदौर दोनों ही खंडपीठ में दायर याचिका में बताया गया कि एक ही निकाय में लगातार एक ही वर्ग को आरक्षण दिया जा रहा है जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है। इसके बाद इंदौर की खंडपीठ ने आदेश दिया कि ‘बार-बार एक ही वर्ग के लिए आरक्षण करना अन्य वर्ग को चुनाव से वंचित रखना है। नगरीय निकाय (Urban Body) चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया में रोटेशन पॉलिसी का पालन होना चाहिए।’ इसके चलते नगरीय निकाय (Urban Body) चुनावों पर फिर विराम लग गया और अब सोमवार को ग्वालियर हाई कोर्ट की खंडपीठ इस मामले में सुनवाई करेगी। इस मसले पर नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग अपना जवाब प्रस्तुत करेगा। यदि हाईकोर्ट इस जवाब से संतुष्ट होता है तो नगरीय निकाय (Urban Body) चुनावी प्रक्रिया आगे जारी रखने के बारे में हरी झंडी दी जा सकती है और इसके बाद पूरी उम्मीद यह है कि मई माह में नगरीय निकाय (Urban Body) के चुनाव करा लिए जाएंगे।
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कैसे हुआ था नगरीय निकाय आरक्षण
भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित प्रदेश के 16 नगर निगमों के महापौर के लिए आरक्षण की प्रक्रिया भोपाल के रवींद्र भवन में की गयी थी। इस दौरान 99 नगर पालिका व 292 नगर परिषदों के अध्यक्ष के लिए भी आरक्षण की प्रक्रिया भी की गयी।इस दौरान राजनीतिक दलों के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।
नगर निगम महापौर पद के आरक्षण
1. अनारक्षित (सामान्य): इंदौर, जबलपुर, रीवा, सिंगरौली
2. अनारक्षित (सामान्य) महिला: ग्वालियर, देवास, बुरहानपुर, सागर, कटनी
3. ओबीसी महिला: भोपाल, खंडवा
4 ओबीसी: रतलाम, रतलाम सतना
5. एससी(अनुसूचित जाति): उज्जैन
6. एससी (अनुसूचित जाति) महिला: मुरैना
7. एसटी (अनुसूचित जन जाति): छिंदवाड़ा
ओबीसी वर्ग मुक्त नगरपालिकाएं –
सबलगढ़, शहडोल, सिरोंज, मैहर, सिवनी, मंडला, रहली, इटारसी, पनागर, जुन्नारदेव, राघोगढ़, मनावर।
ओबीसी महिला के लिए आरक्षित नगरपालिकाएं –
छतरपुर, धार, जावरा, सनावद, नेपानगर, आष्टा, हरदा, व्यावरा, पांढुर्ना, श्योपुरकला, होशंगाबाद, रायसेन और मंदसौर।
ओबीसी के लिए आरक्षित 25 नगर पालिका अध्यक्ष पद
सबलगढ़, धारा, आष्टा, रायसेन, सिरोंज, होशंगाबाद, छतरपुर, शहडोल, पन्ना, राधौगढ़, मंदसौर, जुन्नारदेव, मनावर, मैहर, सनावद, श्योपुर कलां, सिवनी, मंडला, ब्यावरा, रहली, पाढूंर्णा, इटारसी, जावरा और नेपानगर।
ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित: सबलगढ़, शहडोल, सिरोंज, मैहर, सिवनी, मंडला, इटारसी, रहली, जुन्नारदेव, पनागर, मनावर और राधौगढ़।
ओबीसी महिला के लिए आरक्षित: छतरपुर, धार, जावरा, सनावद, नेपानगर, आष्टा, हरदा, ब्यावरा, पांडुरना, श्योपुरकलां, होशंगाबाद, रायसेन और मंदसौर।
सामान्य वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित नगर पालिका:
शुजालपुर मंडीदीप, अंबाह, नीमच, करेली, अमरवाड़ा, सौसर, चौरई, वारासिवनी, गुना, दतिया, देवरी, मुलताई, बैरसिया, शिवपुरी, महिदपुर, धनपुरी, नैनपुर, बालाघाट, खरगोन, पन्ना, गढ़ाकोटा, पिपरिया, राजगढ़, विदिशा और बैतूल।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित: मकरोनिया, दमुआ, डबरा, गोहद, सारणी, खुरई, आमला, चंदेरी, बीना, गोटेगांव, नागदा, भिंड, हटा, महाराजपुर और लहार।
अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित: खुरई, सारणी, गोहद, दमुआ, गोटेगांव, नागदा, भिंड और हटा।
अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित: मलाजखंड, झाबुआ, अलीराजपुर, पाली, बड़वानी और बिजुरी।
अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिला के लिए आरक्षित: अलीराजपुर बड़वानी और बिजुरी।
सामान्य वर्ग के लिए अनारिक्षत नगरपालिकाएं:-
सारंगपुर, सिवनी-मालवा, बेगमगंज, टीकमगढ़, नौगांव, पोरसा, अशोकनगर, डोंगर-परासिया, सीहोरा, कोतमा, पसान, सीधी, बड़नगर, गंजबासौदा, नरसिंहगढ़, सिहोर, पीथमपुर, बड़वाह, नरसिंहपुर, सैंधवा, गाडरवारा, अनूपपुर, आगर, शाजापुर, उमरिया, दमोह और खाचरोद।
अजा-जजा के लिए आबादी के अनुसार होता है आरक्षण
नगर निगम में महापौर के लिए अजा, अजजा का आरक्षण आबादी के अनुसार होता है, जबकि ओबीसी आरक्षण 25 प्रतिशत होता है। ओबीसी आरक्षण में नियम है कि पिछली बार ओबीसी के लिए आरक्षित रहे निकायों को हटा कर यह आरक्षण होता है। इस बार भी पिछले बार की तरह वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ही आरक्षण हो रहा है। ऐसे में जनसंख्या का अनुपात पिछले आरक्षण यानी 2014 जैसा ही होगा। आशय यह है कि अजा-अजजा के लिए आरक्षण में बदलाव नहीं होगा।