भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार स्कूल शिक्षा (MP School) के क्षेत्र में कई तरह के प्रयोग कर रही है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, अच्छा शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए सरकार के प्रयास लगातार जारी हैं इसके लिए जिलावार निर्देश भी दिए गए हैं। जो जिला सरकार द्वारा निर्धारित बिंदुओं पर जैसा कार्य करता है सरकार उसकी उस हिसाब से रैंकिंग भी जारी की जाती है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग (MP School Education Department) के राज्य शिक्षा केन्द्र (MP State Education Center) द्वारा जिलों में किए जा रहे कार्यों और उपलब्धि के आधार पर सत्र 2022-23 के प्रथम त्रैमास माह जून, जुलाई और अगस्त की सभी 52 जिलों की रैंक (ranking of schools) तय की गयी है। जिसे 15 सितम्बर को एमपी एजुकेशन पोर्टल पर जारी किया जाएगा। संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र धनराजू एस ने बताया कि प्राथमिकताओं और गणना प्रणाली के अनुसार जिलों की रैंकिग की गई है। सभी जिला कलेक्टर्स से सुधारात्मक सुझाव भी प्राप्त किए जाएँगे।
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संचालक धनराजू एस ने बताया कि गुणवत्ता एवं समय-सीमा में कार्य निष्पादन के साथ ही जिलों के मध्य एक स्वस्थ्य प्रतियोगिता भाव पैदा करने की दृष्टि से यह व्यवस्था लागू की गई है। पूर्व में विगत सत्र 2021-22 का वार्षिक जिला रिपोर्ट कार्ड जारी किया गया था। इस सत्र से प्रत्येक त्रैमास में यह व्यवस्था लागू की जा रही है, जिसमें राज्य शिक्षा केन्द्र में आने वाले सभी जिला शिक्षा केन्द्रों, डाइटस तथा शिक्षा महाविद्यालयों जैसे प्रशिक्षण संस्थानों के कार्यों को हर त्रैमास कसौटी पर कसा जायेगा और प्राप्ताकों के आधार पर सुधारात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
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रिपोर्ट में प्राथमिकता के आधार पर अनेक कार्य बिंदु निर्धारित किए गए हैं। इन कार्यों के आधार पर जिलों की रिपोर्ट और रैंकिग तय होगी। इन कार्यो को बच्चों के नामांकन एवं ठहराव, गुणवत्ता पूर्ण शैक्षिक उपलब्धियों, शिक्षकों का व्यवसायिक विकास, समानता, अधो-संरचना भौतिक सुविधाओं और सुशासन प्रक्रियाएँ आदि को 6 मुख्य भागों में बाँटा गया है। जिसमें कुल 32 सूचकांक सम्मिलित हैं। इनमें प्रत्येक तिमाही की प्राथमिकता के अनुसार समसामायिक रुप से परिवर्तन किए जाते रहेंगे।
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उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देशित किया था कि जिलों की शैक्षिक रैंकिग प्रणाली विकसित की जाए। जिसे सभी जिलों के जिला परियोजना अधिकारियों के साथ ही जिला कलेक्टर्स और संभागीय आयुक्तों के मध्य भी साझा किया जाएगा।