भोपाल, रवि नाथानी। संत नगर में गुरूवार को एक दुखट घटना सामने आई है, संत नगर की रहने वाली एक महिला जिसके पति का एक साल पहले निधन हो गया था, उन्ही के श्रृाद्ध के दिन महिला को घर में ही हार्ट अटैक आया और उन्हे बचाया नहीं जा सका। महिला की अंतिम इच्छा थी कि उसके शरीर का दाह संस्कार न किया जाए ,बल्कि मेडिकल स्टूडेट को उसका शरीर दान किया जाए, ताकि मेडिकल स्टूडेंट को मानव शरीर की संरचना को समझ सके। महिला की 17 साल की एक बेटी है एक साल में अपने माता पिता को खोकर वह बेसुध है।
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बैरागढ़ के ए न्यू 37 में रहने वाली श्रीमती पूजा रायचंदानी अपनी 17 साल की बेटी के साथ रहती थी और एक साल पूर्व उनके पति रमेश कुमार रायचंदानी का निधन हो गया था। जिनका बुधवार को पहला श्राद्ध था। श्रीमती पूजा ने विधि विधान से पति का श्राद्ध संपन्न किया और दोपहर को स्कूल से एजाम देकर लौटी बेटी वर्षा से भी काफी देर बात की। कुछ घंटे बाद शाम को लगभग 6 बजे महिला को घबराहट के साथ सीने में दर्द होने लगा और तत्काल ही बेटी और उनकी चाची पास के निजी अस्पताल ले गई पर तबियत ज्यादा खराब होने से महिला को हमीदिया अस्पताल ले जाने के लिए डाक्टर ने कहा पर वहां पहुंचने से पहले ही महिला की सांस थम चुकी थी। महिला की इच्छा अनुसार रायचंदानी परिवार ने चिरायु मेडिकल कालेज को अंतिम संस्कार नहीं करते हुए देहदान की प्रक्रिया पूरी की।
बेटी के ऊपर टूटा दुखों का पहाड़
बेटी वर्षा रायचंदानी ने कहा कि ममी काफी समय से बोलती थी कि जब में भी दुनिया से जाऊ तो मेरा अंतिम संस्कार नहीं कर देहदान कर देना। मेरा शरीर मरने के बाद किसी के काम आयें यह इच्छा पूरी कर देना। उन्हीं की इच्छा पूरी करते हुए महिला का देहदान किया है। जो स्टूडेंट डाक्टरी बनने की तैयारी कर रहे है उन्हें रिसर्च करने में शरीर काम आएगा। श्रीमती पूजा सरल स्वभाव के साथ मिलनसार थी जो प्रतिदिन निरंजन धाम में सत्संग में शामिल होती थी। परिवार के सभी सदस्यों ने भी कहा कि यह समाज में अच्छा संदेश है।
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देह दान के लिए जागरूकता
मेडिकल कालेज को मिलने वाली देह को छात्र शिक्षक के समान मनाते है देश में आज कल अपने जीते जी अपना शरीर ही दूसरो के लिए दान करने के मामले लगातार सामने आ रहे है देहदान के लिए लोग जागरूक हो गए है कोई पूरा शरीर दान करता है तो कोई शरीर के अंग दान करता है मेडिकल कालेज को मिलने वाली देह का छात्र खास समान करते है। जूनियर, पीजी और रिसर्च छात्र पूरा आदर समान करते है। यह देह उनके लिए शिक्षक के समान होता है यही नहीं उन्हें शपथ दिलाई जाती है कि वह इस देह के ऋणि रहेंगे। इस देह से मेडिकल स्टूडेंट को बहुत कुछ सीखने को मिलता है देहदान से व्यति मरणोपरांत भी किसी को भी जीवन दान दे सकता है। यही नहीं ऐसे चिकित्सक को गढने में भागीदार होता है जो वर्षो तक चिकित्सा सेवा के माध्यम से देश विदेश में लाखों लोगों की जान बचाता है।
बेटी हुई भावुक
लगभग एक साल पहले 13 अगस्त 2021 को पापा का निधन हो गया था औश्र एक साल बाद मां का साथ छुटने से माता पिता की इकलौटी बेटी वर्षा रायचंदानी का माता-पिता के साथ छुट गया है। वर्षा की आंखों में आसू थे, और भावुक हो गई और कक्षा 12 वी की पढ़ाई कर रही वर्षा की हिम्मत और हौसला मजबूत था। वर्षा कहती है कि बड़े पापा मम्मी का साथ है पढ़ाई जारी रखते हुए बैंकिंग की पढ़ाई कर माता-पिता की इच्छा को पूरा करूंगी। वर्षा गुरूवार को भी एक टेस्ट देने के लिए स्कूल गई थी। वर्षा कहती है कि मम्मी ने देह दान कर एक मिसाल कायम की है,वह कहती है कि माता पिता के बगैर जीवन अधूरा है पर मेरे माता मेरे साथ हमेशा रहेगे।