मंत्रालय में पदस्थ महिला कर्मचारी ने पांचवी मंजिल से कूदकर की आत्महत्या

Atul Saxena
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मंत्रालय में पदस्थ एक महिला कर्मचारी ने पांचवी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या (suicide) कर ली। महिला कर्मचारी मप्र इंडस्ट्रियल डवलपमेंट कार्पोरेशन (Female employee of MP Industrial Development Corporation commits suicide)में वल्लभ भवन में पदस्थ थी। मृतका के पिता ग्वालियर पुलिस में एएसआई हैं। महिला कर्मचारी ने ऐसा कदम क्यों उठाया पुलिस इसकी जांच कर रही है।

प्रधान अर्बन लाइफ कालोनी, शाहपुरा में वाली मंत्रालय की कर्मचारी 27 साल की रानी शर्मा ने अचानक अपनी बिल्डिंग की पांचवी मंजिल से कूदकर जान दे दी (Woman employee posted in Mantralaya committed suicide)। बताया जा रहा है कि सोमवार सुबह करीब 5 बजे रानी उठी और बालकनी से छलांग लगा दी।

मंत्रालय में पदस्थ महिला कर्मचारी ने पांचवी मंजिल से कूदकर की आत्महत्या

परिजनों ने जब लोगों की आवाज सुनी तो जागकर बालकनी से देखा तो उनके होश उड़ गए। वे दौड़कर नीचे गए तब तक रानी की मौत हो चुकी थी। सूचना पर पहुंची शाहपुरा पुलिस ने जांच कर शव को पीएम के लिए भेज दिया। शुरूआती जांच में पुलिस को कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला है।

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उधर जानकारी ये भी मिली है कि मृतका रानी शर्मा पिछले कुछ दिनों से तनाव में थी, वो अपनी महिला साथी श्रेया के साथ रहती थी, बेटी की हालत को देखते हुए पिछले 15 दिन से मां भी ग्वालियर से आकर उसके साथ रह रही थी, बताया ये भी जा रहा है कि ग्वालियर के कोतवाली थाने में पदस्थ रानी के पिता एएसआई वेदराम शर्मा भी पांच दिन पहले बिटिया को समझाने भोपाल आये थे।

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परिजन उनकी बेटी के तनाव और आत्महत्या का कारण प्रताड़ना बता रहे है। उन्होंने शाहपुरा पुलिस के सामने भी ये बात कही है। कहा जा रहा है कि रानी शर्मा की प्रताड़ना में एक बड़े अधिकारी का नाम सामने आ रहा है। शाहपुरा पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है।  पुलिस ने परिजनों के आरोपों को भी जांच के बिंदुओं में शामिल किया है। जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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