Chhatarpur News : ठेले से मरीज को अस्पताल लेकर पहुंचे परिजन, मौत के बाद भी नहीं मिला शव वाहन

Amit Sengar
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Chhatarpur News : छतरपुर के बक्सवाहा कस्बे में मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है, यहां एक कैंसर पीड़ित मरीज को उसकी परिजन महिलाएं हाथ ठेले पर लेकर अस्पताल पहुंची ,हालाँकि मरीज बेहद गंभीर स्थिति में था और अस्पताल पहुंचने के बाद ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने हाथ ठेले पर ही मरीज का उपचार किया लेकिन उसकी मौत हो गई, और उसके बाद एक बार फिर मृतक की परिजन महिलाओं को हाँथ ठेले में ही शव को घर तक ले जाना पड़ा, ना अस्पताल तक लाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध हो सकी और ना ही वापस शव ले जाने के लिए शव वाहन मिला।

यह है पूरा मामला

मृतक महेंद्र बंसल के परिजन महिला ने बताया कि महेंद्र को कैंसर था उसका इलाज पहले दमोह और जबलपुर में चलता रहा इसके बाद डॉक्टरों ने उसे घर ले जाने की सलाह दी जब घर में तबीयत ज्यादा बिगड़ी और पैसे की व्यवस्था नहीं होने कारण वह हाँथ ठेले से ही वार्ड नंबर 14 बक्सवाहा से अस्पताल तक मरीज को लेकर आएं जहां पर हांथ ठेले पर ही डॉक्टर ने उसे इंजेक्शन लगाया और उसके बाद उसकी मौत हो गई।

गौरतलब है कि भले ही मरीज को लाने के लिए उसके परिजनों ने एंबुलेंस 108 को फोन नहीं किया हो लेकिन जब मरीज की मौत अस्पताल में होती है, और उसके बाद महिलाएं अस्पताल प्रबंधन के सामने ही हाथ ठेले में शव को ले जाती हैं लेकिन उन्हें शव वाहन तक मुहैया नहीं कराया जाता। यह तस्वीरें शर्मसार करने वाली हैं।

वहीं इस मामले में बीएमओ का कहना है कि शव वाहन की उनके द्वारा डिमांड नही की गई और यह नगर पालिका के अधिकार क्षेत्र में आता है मृतक के परिजन जल्दी-जल्दी में शव लेकर चले गए।
छतरपुर से सुबोध त्रिपाठी की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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