कोरोना पीड़ित के परिजनों को कलेक्टर ने चेताया, एफआईआर की होगी कार्रवाई

Pooja Khodani
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छतरपुर, संजय अवस्थी। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में दिनों दिन कोरोना के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे है।प्रशासन की सख्ती और कोरोना कर्फ्यू के बावजूद स्थिति संभल नही रही है। इसी बीच छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। कलेक्टर ने कोरोना पीड़ित के परिजनों को चेताया है कि परिजन जबरजस्ती किसी दूसरे संक्रमित मरीज की ऑक्सीजन की नली निकाल लेते हैं और अपने पेसेंट का इलाज करने लगते हैं यह भी गलत है। ऐसे लोगों पर निगरानी रखी जा रही है। पेसेंट के स्वस्थ होने पर सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर की कार्यवाही की जाएगी।

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छतरपुर कलेक्टर छतरपुर शीलेन्द्र सिंह का कहना है कि प्रशासन द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बाद भी रोगी के परिजन उपचार एवं देखभाल के लिए संबंधित वार्ड़ों में आना-जाना कर रहे हैं और कोविड संक्रमित भर्ती मरीज के उपचार का प्रबंध अपने हाथों में लेते हैं जो उचित नहीं है इससे मरीज स्वस्थ नहीं होगा। परिजन जबरजस्ती किसी दूसरे संक्रमित मरीज की ऑक्सीजन की नली निकाल लेते हैं और अपने पेसेंट का इलाज करने लगते हैं यह भी गलत है। ऐसे लोगों पर निगरानी रखी जा रही है। पेसेंट के स्वस्थ होने पर सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर की कार्यवाही की जाएगी।

कलेक्टर का कहना है कि कोविड एवं आइसोलेशन वार्डों में बार-बार आने-जाने परिजनों को सचेत किया गया है कि चिकित्सालय के उपचार के किसी भी संसाधन से छेड़छाड़ नहीं करें और खुद से अपने पेसेंट का इलाज भी नहीं करें। कोविड संक्रमित वार्ड में भर्ती दूसरे मरीज भी परिजनों के आने-जाने और उपस्थित रहने से बेवजह परेशान तो होते ही हैं साथ ही कोविड गाइडलाइन का उल्लंघन भी होता है और कोविड संक्रमण फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसीलिए परिजन वार्ड में भर्ती दूसरे मरीज की परेशानी का कारण न बनें।

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उन्होंने कहा कि रोगी एवं उनके परिजन ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए स्वयं से हड़बड़ी नहीं मचाएं। रोगी को चिकित्सक एवं रोग की प्राथमिकता के आधार पर ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि छतरपुर जिले में कोविड संक्रमित रोगी का रिकवरी रेट 98% है, जिन रोगी का ऑक्सीजन लेवल 85: तक है वह भी निश्चित रूप से स्वस्थ हो सकते हैं। रोगी को चिकित्सकों द्वारा लक्षण के अनुसार ही उपचार संबंधी दवा दी जा रही हैं तथा जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन भी मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रोगी को अनावश्यक या अधिक ऑक्सीजन देना नुकसानदायी होता है। इसलिए रोगी एवं परिजन ऑक्सीजन देने का निर्णय न लें।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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