ऊ हमाए नौ से पूरी तरह निष्कासित… सुनिए नशे के खिलाफ़ ग्रामीणों की बागेश्वर महाराज के समक्ष शपथ

बागेश्वर महाराज ने सभी को नशा न करने और नशीले पदार्थ न बचने की शपथ दिलाई। आसपास के दर्जनों गांव के लोगों ने शपथ लेते हुए कहा कि न तो वह स्वयं नशा करेंगे और न ही किसी को करने देंगे।

Dhirendra Krishna Shastri

Chhatarpur News: हिन्दुओं को एक जुट करने का आह्वान कर रहे बागेश्वर धाम प्रमुख धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री सामाजिक ताने बाने की भी संतुलित और खुशहाल करने के लिए प्रयास करते हैं, एक कथावाचक होने के चलते वे समझते हैं कि लोग उनकी बातों को गंभीरता से लेते हैं इसलिए से समाज को सही दिशा दिखाने का प्रयास समय समय पर करते रहते हैं।

ऐसा ही एक प्रयास बाबा बागेश्वर धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने किया है, अब उन्होंने नशाखोरी के खिलाफ एक बड़ी पहल की है। बागेश्वर धाम में आसपास के गांव के लोगों से भेंट करने उन्होंने दशहरा मिलन कार्यक्रम रखा। बागेश्वर महाराज ने सभी को नशा न करने और नशीले पदार्थ न बचने की शपथ दिलाई। आसपास के दर्जनों गांव के लोगों ने शपथ लेते हुए कहा कि न तो वह स्वयं नशा करेंगे और न ही किसी को करने देंगे। जो व्यक्ति गांव में नशाखोरी करेगा एवं नशीले पदार्थ बेचेगा उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।

Dhirendra Shastri ने ग्रामीणों को दिलाई शराब ना पीने की शपथ

उल्लेखनीय है कि बागेश्वर धाम के आसपास के गांव में बिकने वाली अवैध शराब को खत्म करने के प्रयास किए जा रहे हैं। बागेश्वर धाम के आसपास तो अवैध शराब की बिक्री पर सख्ती बरती जा रही है लेकिन आसपास के गांव में अभी जमकर शराबखोरी हो रही है। इसलिए यदि धीरेन्द्र शास्त्री की इस पहल से यदि ग्रामीण सच्चे रूप से जुड़ते हैं तो यह पहल मील का पत्थर साबित होगी।

यदि ग्रामीण selling liquor मिला तो गाँव में उसे कोई भी मंगल कार्य में नहीं बुलाएगा

शपथ को जीवन में अपनाने के बाद ग्रामीण अपनी शपथ की रक्षा के लिए नशाखोरी से दूर रहेंगे तो उनके जीवन में भी एक बड़ा बदलाव आएगा, इस दौरान अगर कोई ग्रामीण शराब बेचता है तो गांव समाज के लोग उसको किसी भी मंगल कार्य में नहीं बुलाएँगे और उस व्यक्ति पर अर्थ दंड भी लगाया जाएगा, सभी ग्रामीणों ने इस बात की शपथ ली है।

छतरपुर से सौरभ शुक्ला की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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