अच्छी खबर : इंदौर में कोरोना का नया ट्रेंड, हर्ड इम्युनिटी की ओर बढ़ रहा है शहर

इंदौर, स्पेशल डेस्क रिपोर्ट।  इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज (MGM Medical College) और एमवाय ब्लड बैंक ( MY Blood Bank) ने कोविड – 19 को लेकर एक बड़ा दावा किया है। जिसमे ब्लड डोनर्स की रिपोर्ट के आधार पर खुलासा हुआ है कि नवम्बर माह के अंतिम सप्ताह में हर्ड इम्युनिटी ( Herd Immunity) तेजी से बढ़ी है और बीते 10 दिनों में इम्युनिटी की दर तुलनात्मक रूप से बढ़ी है। जिसका सीधा मतलब है कि अब कोरोना के संक्रमण का असर शहर की 40 प्रतिशत आबादी पर उतना असर डाल पायेगा जितनी तेजी से संक्रमण का फैलाव होता है।

दरअसल, कोरोना संक्रमण जितनी आबादी को प्रभावित करेगा, उसके मुताबिक ही हर्ड इम्युनिटी विकसित होती और इंदौर में बीते 15 दिनों से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन साथ यह संकेत भी मिले है कि शहर की 30 से 40 फीसदी शहरी आबादी में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। यह खुलासा एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने किया है और प्रदेश के सबसे बड़े ब्लड बैंक के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. अशोक यादव ने किया है। उन्होंने बताया कि अगस्त माह में  आईसीएमआर के निर्देश पर सीरो सर्वे करवाया गया था और तब 6 से 7 फीसदी ही एंटीबॉडी मिली थी।  वही अब हर रोज ब्लड डोनेट करने आने वाले कुल 3  हजार से अधिक डोनर्स के ब्लड की जांच आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार की गई तो सामने आया है कि 30 से 40 फीसदी लोगो में कोरोना से लडने के लिए एंटीबॉडी विकसित पाई गई है। मेडिकल कॉलेज के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन  विभाग के एचओडी डॉ. अशोक यादव ने बताया कि रक्तदान करने के लिए आने वाले और अभी जो हम शिविर आयोजित कर रहे हैं, उसमें भी एंटीबॉडी टेस्टिंग की जाती है। सितम्बर से लेकर अभी अक्टूबर और दिसम्बर में जो टेस्ट किए गए उससे पता चलता है कि शहर की 30 से 40 फीसदी तक आबादी में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है, जो कि एक अच्छा संकेत भी है। डॉ. यादव के मुताबिक ब्लड डोनर का अनिवार्य रूप से यह टेस्ट करवाया जाता है और इसमें जो डोनर प्लाज्मा थैरेपी के इच्छुक हैं, उनसे कोरोना मरीजों के लिए प्लाज्मा भी लिया जाता है, क्योंकि इस थैरेपी से भी कोरोना संक्रमित मरीजों को काफी फायदा पहुंचा है। पूर्व में जहां एंटीबॉडी कम विकसित मिल रही थी, लेकिन अभी अक्टूबर अंत में और दिसम्बर के बीते दिनों में जो टेस्ट हुए उसमें अधिक लोगों में एंटीबॉडी मिल रही है। यहां तक कि बीते 5 दिसम्बर को तो किए गए 92 टेस्ट में 46 फीसदी तक एंटीबॉडी मिली है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....