Dabra News : डबरा के भितरवार से बड़ा मामला सामने आया था, जहां किठौंदा पंचायत के उप सरपंच और सहायक सचिव द्वारा ग्राम के ही 4 जीवित व्यक्तियों के ही मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर उनकी अंत्येष्टि राशि निकाल ली गई और अनुग्रह सहायता राशि ग्राम भी मंजूर करा ली गई थी। जिसकी भितरवार जनपद सीईओ लक्ष्मी नारायण पीपल के द्वारा पुष्टि कर दी गई है, जिसमें गांव के ही उपसरपंच और सहायक सचिव के द्वारा चार लोगों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए गए थे और सरकारी योजनाओं का लाभ लिया गया था। जिसपर कार्रवाई करते हुए 2 लोगों को निलंबित कर दिया गया है।
जनपद सीईओ ने दी जानकारी
वहीं, भितरवार जनपद सीईओ लक्ष्मी नारायण पीपल ने बताया कि 4 जनवरी को एक मामला उनके संज्ञान में आया था। जिसमें जेआरएस के द्वारा फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर संबल अंत्येष्टि राशि हड़पने की बात कही गई थी। इसके तुरंत बाद ही जिला पंचायत द्वारा जांच एक टीम गठित की और ग्राम पंचायत किठौदा में स्वयं टीम के साथ जाकर जांच की। इस दौरान उन्होंने फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनने और उनसे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की पुष्टि की। ग्राम पंचायत कठौदा में फर्जी तरीके से 5 लोगों की मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए गए, जिसमें से 3 लोगों के जीवित होने की मौके पर पुष्टि की गई और बाकी 2 लोग मौके पर नहीं मिले थे। इन प्रमाण पत्रों के आधार पर अंत्येष्टि राशि और अनुग्रह सहायता राशि पास कराई गई। जिस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है और दोषियों पर वरिष्ठ अधिकारियों को जांच प्रतिवेदन भेज कर नियम अनुसार कार्रवाई की बात कही।
एक ही परिवार के लोग
घटना की जानकारी देते हुए ग्राम पंचायत किठौंदा के सरपंच खेम सिंह जाटव का कहना था कि उनकी पंचायत में जीवित व्यक्तियों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर उप सरपंच और सहायक सचिव विक्रम जाटव द्वारा अंत्येष्टि की राशि के 5-5 हजार रुपए निकाले जा चुके हैं। प्रीतम वर्मा एवं राकेश जाटव दोनों के फर्जी तरीके से अनुग्रह सहायता राशि 2-2 लाख रुपए स्वीकृत कराई गई। मामले को लेकर सरपंच का कहना है कि उन्होंने इस बात की शिकायत भितरवार जनपद में की है। जिनके फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए गए हैं। उन चारों के नाम भारत वर्मा, प्रीतम जाटव, रमेश पुत्र नकटू और होतम वर्मा हैं और बड़ी बात यह है कि जिन चारों लोगों के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए गए हैं, उनमें से 3 लोग उप सरपंच सपना पत्नी पंचम सिंह के परिवार के ही हैं।
डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट