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Tue, Dec 16, 2025

सवाल अब भी वही, आखिर कहाँ गया खाद का रैक, प्रशासन ने भेजा तो व्यापारियों तक क्यों नहीं पहुंचा?

Written by:Atul Saxena
भिंड प्रशासन ने कालाबाजारी करने के लिए छिपाकर रखी गई 700 बोरी यूरिया खाद को एक घर से बरामद किया, प्रशासन के इसके लिए सोसायटी के सचिव को दोषी माना और उसके विरुद्ध एवं खाद पहुँचाने वाले ट्रांसपोर्टर और उसके ड्राइवर के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया है।
सवाल अब भी वही, आखिर कहाँ गया खाद का रैक, प्रशासन ने भेजा तो व्यापारियों तक क्यों नहीं पहुंचा?

खाद वितरण के दावे और उसकी हकीकत में कितना अंतर है ये डबरा के दुकानदार बार बार बता रहे हैं लेकिन उनकी बात को सुनने वाला कोई नहीं है, दुकानें खाली पड़ी हैं, किसान परेशान हैं, ग्वालियर जिला प्रशासन दावा कर रहा है कि उसने पिछले दिनों ब्रह्मपुत्र वैली की रैक से 208 मीट्रिक टन खाद लोकल में दुकानदारों के लिए भेजा तो सवाल ये उठता है कि प्रशासन ने भेजा तो ये खाद डबरा के दुकानदारों को क्यों नहीं मिला?

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने एक एक किसान तक खाद पहुँचाने का वादा किया है, वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में वितरण व्यवस्था निर्धारित की गई है जिलों के कलेक्टर्स को वितरण पर कड़ी नजर रखने और व्यवस्थित खाद वितरण करवाने के निर्देश दिए हैं लेकिन फिर भी प्रदेश के कुछ जिलों से अव्यवस्थाओं की ख़बरें आ रही है, किसान को खाद की जगह लाठियां मिल रहीं हैं, पड़ोसी जिले भिंड में किसान पर पुलिस के प्रधान आरक्षक द्वारा लाठियां भांजने का वीडियो अभी भी सोशल मीडिया पर वायरल है हालाँकि उसे एसपी ने निलंबित कर दिया लेकिन सवाल उठता है कि ये सब नौबत ही क्यों आ रही है?

एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने 9 सितम्बर को व्यापारियों की परेशानियों को उजागर करते हुए एक खबर लगाई थी, जिसमें डबरा के दुकानदारों ने कहा था कि ब्रह्मपुत्र वैली से आया खाद उन्हें नहीं मिला जबकि एसडीएम ने वादा किया था कि खाद डबरा के व्यापारियों को मिलेगा,  2600 मीट्रिक टन खाद लेकर आया रेलवे का रैक तो खाली हो गया  और डबरा के दुकानदारों की दुकानें फिर भी खाली रहीं, एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ की खबर को ग्वालियर जिला प्रशासन ने भ्रामक बता दिया और स्पष्टीकरण दिया कि खाद कहाँ कहाँ गया।

डबरा के लिए आया खाद तो कहाँ गया? 

जिला प्रशासन ने बताया कि ब्रम्हपुत्र वैली फर्टिलाइजर कंपनी लिमिटेड से जो खाद प्राप्त हुआ उस खाद को दतिया जिले के सहकारी क्षेत्र में 805.500 मीट्रिक टन एवं निजी क्षेत्र में 560.520 मीट्रिक टन, भिण्ड जिले के सहकारी क्षेत्र में 301.500 मीट्रिक टन एवं निजी क्षेत्र में 30.150 मीट्रिक टन, ग्वालियर जिले के सहकारी क्षेत्र में 683.550 मीट्रिक टन एवं निजी क्षेत्र में 208.350 मीट्रिक टन खाद वितरित किया गया लेकिन यदि 208 मीट्रिक टन खाद निजी क्षेत्र के लिए दिया गया तो फिर दुकानदारों को क्यों नहीं मिला ? इसे कहाँ बेचा गया, इसका जवाब कोई नहीं दे रहा।

दुकानदार बोले, नहीं मिला खाद, देने से किया इंकार  

ग्वालियर जिला प्रशासन के दावे की हकीकत जानने के लिए एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ संवाददता ने डबरा के कुछ और व्यापारियों से बात की तो उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें कोई खाद नहीं दिया गया, एसडीएम ने मीटिंग में हमसे कहा था कि ब्रह्मपुत्र वैली से आया खाद आपको मिलेगा लेकिन मिला नहीं, हमने माँगा भी तो मना कर दिया गया, कह दिया कि तुम्हें जरुरत नहीं भिंड में ज्यादा जरुरत है,  खाद विक्रेता दुकानदार खाली बैठे हैं उन्हें उम्मीद है कि संभव है आगे आने वाले रैक से उन्हें खाद मिल पाए, यहाँ सवाल ये है कि डबरा के दुकानदारों के लिए आये खाद को भिंड में भिजवाने की बात करने वाले ये कौन लोग हैं?

भिंड में एक घर से बरामद हुई यूरिया की 700 बोरी खाद, सोसाइटी सचिव पर एफआईआर

यहाँ बता दें कि दुकानदारों ने कृषि विभाग के अफसरों और बड़े व्यापारियों की सांठ गांठ से  हो रही खाद की कालाबाजारी की जो आशंका जताई थी वो पास के जिले भिंड में साबित भी हो गई, यहाँ तीन सोसायटियों के लिए भेजी गई 1300 बोरी खाद गायब  होने की शिकायत के बाद जब कलेक्टर के निर्देश पर कृषि विभाग ने जाँच की तो मामले का खुलासा हुआ, छापे मारे गए तो एक घर से 700 बोरी यूरिया बरामद हुई, इसके बाद सोसायटी सचिव , ट्रांसपोर्टर और ड्राइवर के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया, स्पष्ट है कि ये खाद कालाबाजारी के लिए ही छिपाकर रखा गया था।

प्रशासन पता करे कौन कर रहा छवि ख़राब 

ग्वालियर जिला प्रशासन भी यदि डबरा के व्यापारियों की बातों को समझकर उनकी परेशानी और डबरा भितरवार क्षेत्र की किसानों की परेशानी को समझकर पता लगाने की कोशिश करे तो संभव है यहाँ भी भिंड जैसा मामला उजागर हो, आखिर प्रशासन को इतना तो पता करना चाहिए कि कलेक्टर के आदेश की अवहेलना कौन कर रहा है? कौन है जो सरकार की और ग्वालियर जिला प्रशासन की छवि को ख़राब कर बड़े व्यापारियों को लाभ पहुँचाने का प्रयास कर रहा है?

प्रशासन की जिम्मेदारी जिसके हक़ का खाद उसे मिले 

बहरहाल सरकार की मंशा है कि एक एक किसान तक खाद पहुंचे जिसके लिए वो पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध करा रहा है अब ये जिला प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि वितरण व्यवस्था में खामी ना रहे जिसके हक़ का जो खाद है उसे मिले यानि 70/30 का जो रेशो (70 प्रतिशत सरकारी एजेंसी और 30 प्रतिशत निजी क्षेत्र के लिए) है उसके हिसाब से वितरण हो, और यदि इसमें कोई गड़बड़ी करता है तो उसे कड़ी सजा दी जाये।

डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट