Dabra News: मध्य प्रदेश के डबरा शहर में चार दिन पहले रेत से भरी एक डंपर ने गतारी ग्राम में रहने वाली एक महिला फूलवती जाटव को कुचल दिया था, जिससे महिला की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस दर्दनाक घटना ने सभी का दिल दहला कर रख दिया था। मृतक महिला का परिवार अभी इस हादसे से पूरी तरह उभर भी नहीं पाया। वहीं उसके बाद भी डबरा की सड़कों पर फिर से रेत से भरे वाहन दौड़ने लगे हैं। हाल ही में एक ताजा मामला सामने आया है, जहां ग्राम बीजापुर में रेत से भरे ट्रैक्टर ट्रॉली निकल रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि रेत माफिया किस तरह से प्रशासन की नाक के नीचे से रेत का अवैध उत्खनन परिवहन कर रहे हैं।
प्रशासन पूरी तरह से रोक लगाने में दिख रहा नाकाम
ग्वालियर जिले के डबरा शहर में अवैध रूप से सिंध नदी के घाटों पर से रेत का अवैध उत्खनन, परिवहन धड़ल्ले से चल रहा है। वहीं अगर सूत्रों की माने तो इन रेत माफियाओं को अवैध कारोबार चलाने के लिए बड़े-बड़े राजनेताओं का संरक्षण मिल रहा है, जिनकी आड़ लेकर रेत माफिया अपना रेत का अवैध कारोबार चला रहे हैं। आपको बता दें कि बिजकपुर घाट, भैसनारि घाट, तिलैथा घाट, कैथोदा घाट, चांदपुर घाट और भी कई ऐसे रेत के घाट है जहां से रेत माफिया सक्रिय होकर धड़ल्ले से रेत का अवैध रूप से उत्खनन और परिवहन कर रहे हैं। इसकी सूचना प्रशासन को तो है लेकिन प्रशासन इन पर पूरी तरह रोक लगाने में नाकाम दिख रहा है, क्योंकि इन घाटों पर रात के अंधेरे में लोडर और पनडुब्बी मशीनों से रेत निकाली जाती है और ट्रैक्टर ट्राली और डंपरों से इसका परिवहन किया जाता है, जोकि क्षेत्र के कई पुलिस थानों के सामने से गुजरते हैं। वहीं इसके बावजूद भी, ना तो पुलिस प्रशासन इन पर कार्रवाई करता है और ना हीं माइनिंग विभाग इस मामले को गंभीरता से ले रहा है।
प्रशासन संदिग्धता के घेरे में आ रहा नजर
देखा जाए तो प्रशासन भी इसमें संदिग्धता के घेरे में नजर आ रहा है, क्योंकि पूरी जानकारी होने के बाद भी प्रशासन इन रेत माफियाओं पर लगाम लगाने में नाकाम है। वहीं प्रशासनिक अधिकारी अपने दफ्तर में तो बैठे रहते हैं लेकिन क्षेत्र में क्या हो रहा है इसके बारे में सुध लेने की फुर्सत उनको नहीं है। इसका पूरा-पूरा फायदा रेट माफिया उठाते हैं, जिसका खामियाजा भोली भाली जनता को भुगतना पड़ता है। सड़कों पर दौड़ रहे रेत के वाहनों की चपेट में आने से कई बार मासूम लोगों ने अपनी जिंदगीयां गवाईं हैं, फिर भी प्रशासन नहीं जाग रहा है।
डबरा से अरूण रजक की रिपोर्ट