मोहर्रम के जुलूस में बिरयानी खाकर फूड पॉइजनिंग का शिकार हुए कई मासूम, SDM ने कहा कराएँगे जाँच 

एसडीएम दिव्यांशु चौधरी ने कि इस बात की जाँच की जा रही है कि बच्चों ने कहाँ बिरयानी खाई थी और उस बिरयानी में ऐसा क्या था कि बच्चे फूड पॉइजनिंग का शिकार हुए।

Atul Saxena
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Dabra News : ग्वालियर जिले के डबरा ब्लाक में कल बुधवार को मोहर्रम के दौरान निकले गए ताजियों के जुलूस में  बांटी गई बिरयानी खाकर कई बच्चे फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए उन्हें उल्टियाँ दस्त होने लगी जिसके बाद उन्हें तत्काल सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में बच्चों को इलाज दिया गया जिसके बाद सभी बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया, एसडीएम ने कहा कि इस बात की जाँच कराई जा रही है कि बच्चों के कहाँ बिरयानी खाई थी और उस बिरयानी में क्या था?

बिरयानी खाकर बीमार हुए करीब 30 बच्चे 

डबरा में मोहर्रम के दिन कल ताजिया विसर्जन जुलूस निकाला जा रहा था, जगह जगह बिरयानी बांटी जा रही थी,  इस दौरान एक जगह बच्चों ने बिरयानी खाई, कुछ बाद कुछ बच्चों को उलटी दस्त होने लगे धीरे धीरे बीमार हुए बच्चों की संख्या  25-30 के करीब पहुंच गई, सभी को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया।

SDM चौधरी, पूर्व मंत्री इमरती देवी पहुंची अस्पताल, बच्चों का हाल जाना  

सूचना मिलते ही एसडीएम दिव्यांशु चौधरी रात में ही अस्पताल पहुंचे, इमरजेंसी में वहां केवल एक डॉक्टर था लेकिन बच्चों की संख्या को देखते हुए दो और डॉक्टर वहां बुलाये गए और फूड पॉइजनिंग के असर को कम करने के लिए तत्काल इलाज दिया गया, पूर्व मंत्री इमरती देवी भी अस्पताल पहुंची और बच्चों का हालचाल जाना, बाद में सबकी हालत सुधरने पर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

इलाज के बाद बच्चे डिस्चार्ज, SDM ने दिए जाँच के आदेश  

एसडीएम दिव्यांशु चौधरी ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को बताया कि मोहर्रम के दौरान बांटी गई बिरयानी को खाकर इन बच्चों का स्वास्थ्य बिगड़ा है, बच्चों को उलटी दस्त होने लगे लेकिन उन्हें तत्काल ट्रीटमेंट दिया गया और फिर ठीक होने के बाद उन्हें गहर भेज दिया गया, उन्होंने कहा कि इस बात की जाँच की जा रही है कि बच्चों ने कहाँ बिरयानी खाई थी और उस बिरयानी में ऐसा क्या था कि बच्चे फूड पॉइजनिंग का शिकार हुए।

डबरा से अरुण रजक की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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