डबरा में आदिवासियों के लिए सरकारी योजनाएं पड़ी फीकी, नहीं मिल रही मूलभूत सुविधाएं, चुनाव को लेकर महिलाओं ने सरकार को दी चेतावनी

आदिवासी महिलाओं ने बुधवार को डबरा शहर में SDM को अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। इस दौरान उन्होंने बताया कि मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं।

Shashank Baranwal
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Dabra

Dabra News: मध्य प्रदेश के डबरा शहर में बुधवार को आदिवासी महिलाओं ने SDM को अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। जिसमें महिलाओं ने मूलभूत सुविदाओं की मांग की। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनकी बस्ती में ना तो कोई पीएम आवास योजना का लाभ अब तक दिया गया है और ना ही अन्य जरूरी मूलभूत सुविधाएं। साथ ही बताया कि उनकी बस्ती में ना तो पक्की सड़क हैं और ना हीं पानी की कोई व्यवस्था ऐसे में वह और उनके बच्चे बहुत सारी परेशानियों से जूझ रहे हैं।

प्रशासन की तरफ से अब तक नहीं की गई कोई मदद

इस दौरा महिलाओं ने यह भी बताया कि कई बार वह अपनी समस्याएं लेकर डबरा प्रशासन के पास आ चुकी है, लेकिन अब तक उनकी प्रशासन द्वारा कोई मदद नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि वह डबरा के वार्ड क्रमांक 22 में रहतीं है जिसका पार्षद शंकर नाम का कोई व्यक्ति है जो उनकी समस्याओं को सुनता नहीं है। इसी के चलते आदिवासी समुदायों की महिलाओं ने आगामी चुनाव के लिए सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी समस्याओं का समाधान जल्द ही नहीं किया तो वह अपने मतदान का बहिष्कार भी करेंगे।

आदिवासी बस्तियों में किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं

यूं तो भाजपा सरकार अपनी जनहित को लेकर कई तरह की योजनाएं गिनाने से नहीं थकती कई तरह की योजनाएं भाजपा सरकार द्वारा गरीब आदिवासियों के लिए चलाई भी गईं हैं। लेकिन वास्तव में यह योजनाएं जमीनी स्तर पर जन जन तक नहीं पहुंच पा रहीं। हाल ही में आदिवासियों के लिए डबरा में कैंपों का भी आयोजन किया जा रहा है जिनमें आदिवासी समुदाय के लोगों की समस्याओं का निराकरण किया जाना है लेकिन अगर बात करें आदिवासियों की मूलभूत सुविधाओं की तो आदिवासी बस्तियों में किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं उपलब्ध कराई गई।

डबरा से अरूण रजक की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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