दमोह में दिखा आस्था का अद्भुत नजारा, तपती धूप में डंड मारते हुए भवन की ओर बढ़ते रहे मां के भक्त

नवरात्र की नवमी के दिन यहां का नजारा देखते ही बनता है जब भक्त कुछ ऐसा करतें है जो साधारण तौर पर करने में लोगों को तकलीफ हो लेकिन यहां आस्था के सामने तकलीफ हार जाती है, हजारों पुरुष अर्धनग्न होकर लगभग दो किलोमीटर तक दंड भरते हुए मंदिर तक पहुंचते हैं।

Amit Sengar
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Damoh News : देश मे आस्था और विश्वास के कई नजारे देखने को मिलते हैं तो एमपी के दमोह जिले में रामनवमी के दिन का नजारा अदभुत रहता है जहां आस्था पर तकलीफ दर्द भारी नही पड़ पाता और लोग पूरे विश्वास के साथ देवी भक्ति का बड़ा उदाहरण पेश करते हैं।

क्या है पूरा मामला

जिले के तेन्दूखेड़ा ब्लाक के दशोदी पंचायत में प्रसिद्ध बलखण्डन माता का प्राचीन मंदिर है और यहां विराजमान देवी को चमत्कारिक माना जाता है, वैसे तो सुदूर ग्रामीण अंचल में स्थित इस प्रसिद्ध मंदिर में साल भर लोग आते हैं लेकिन नवरात्र में इस जगह का खास महत्व है लिहाजा दमोह जिला ही नही बल्कि देश के अलग अलग हिस्सों से रोजाना हजारो श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। नवरात्र की नवमी के दिन यहां का नजारा देखते ही बनता है जब भक्त कुछ ऐसा करतें है जो साधारण तौर पर करने में लोगों को तकलीफ हो लेकिन यहां आस्था के सामने तकलीफ हार जाती है, हजारों पुरुष अर्धनग्न होकर लगभग दो किलोमीटर तक दंड भरते हुए मंदिर तक पहुंचते हैं। वहीं हजारो महिलाएं भी पूरी आस्था के साथ इस मंदिर तक जमीन पर दंड भरते हुए ही पहुंचती हैं। इस नवमी पर भी यहां ये दृश्य देखने को मिल रहे हैं जब चिलचिलाती धूप में सीमेंट क्रांक्रीट से बनी सड़क पर महिलाएं और पुरुष सुबह से ही यहां दंड भरते पहुंच रहे हैं।

दरअसल इसके पीछे यहाँ की मान्यता है कि इस दरबार मे लोग जो मन्नत मांगते हैं वो पूरी होती है और जब मन्नत पूरी हो जाती है तो फिर नवरात्र की नवमी के दिन पुरुष अपने शरीर पर सिर्फ एक गमछा बांधकर यहाँ दंड भरते हैं वही महिलाएं भी सड़क पर दंड भरकर मन्दिर तक पहुंचती है और ये संख्या थोड़ी बहुत नही बल्कि हजारो में होती है।

दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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