Damoh News : मध्य प्रदेश में जारी दलबदल के दौर के बीच अब भाजपा ने बीएसपी को बड़ा झटका दिया है। अब दमोह से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और दलित नेता भगवान दास चौधरी को भाजपा में शामिल कराया है। रविवार को सागर जिले के बंडा विधानसभा क्षेत्र के शाहगढ़ में आयोजित मुख्यमंत्री मोहन यादव की आमसभा में चौधरी ने भाजपा की सदस्यता ली है। दमोह से भाजपा प्रत्याशी राहुल लोधी ने भगवानदास सहित उनके समर्थकों को भाजपा की सदस्यता दिलाई है।भगवानदास चौधरी के इस निर्णय के बाद दलित वोट बैंक के एक बड़े हिस्से पर असर पड़ने की उम्मीद है।
भाजपा में हुए शामिल
दमोह के जिला पंचायत अध्यक्ष रहे भगवानदास चौधरी मूलतः कांग्रेसी नेता रहे हैं। कांग्रेस में वो बड़े दलित नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं, भगवानदास लगातार कई चुनावों से पहले जिले की पथरिया रिजर्व सीट और फिर हुई रिजर्व सीट हटा से कांग्रेस से विधानसभा की टिकिट मांगते आ रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उन पर विश्वास नही किया और साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के दौर में भगवानदास ने कांग्रेस का दामन छोडकर बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। भगवानदास पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने यकीन किया और उन्हें दमोह जिले की हटा सीट से बीएसपी का प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा लेकिन भगवानदास का जादू नही चला और वो बुरी तरह से हारते हुए तीसरे नम्बर पर रहे। कांग्रेस से बसपा में गए भगवानदास कुछ ही महीनों तक मायावती के साथ रह पाए और अब उनका नया ठिकाना भाजपा हो गई है।
लोकसभा चुनाव के दौरान इस दलित नेता का भाजपा में आना कई तरह के संकेत दे रहा है। खास तौर पर बुन्देलखण्ड इलाके की बात करें तो इस रीजन में भाजपा की नजर दलित वोट बैंक पर है। अमूमन माना जाता रहा है कि इस इलाके का दलित वोट बैंक कांग्रेस के साथ रहा है। लेकिन बीते कुछ चुनाव में ये बड़ा तबका बीएसपी के साथ चला गया और दमोह सहित बुन्देलखण्ड के कई हिस्सों में बीएसपी का वोट बैंक बड़ा भी, दमोह जिले के पथरिया से साल 2018 के आम चुनाव में बसपा की राम बाई सिह विधायक भी चुनी गई। लेकिन पाँच साल बाद यानी 2023 में रामबाई का जादू नही चल पाया और वो चुनाव में तीसरे नम्बर पर आ गई। इन तमाम हालातों के साथ भाजपा की प्लानिंग भी युद्ध स्तर पर जारी रही। बीते साल सागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रविदास के भव्य मंदिर की आधारशिला रखकर इस तबके को आकर्षित करने का प्रयास किया था। भाजपा का ये प्रयोग कुछ हद तक सफल भी रहा और विधानसभा चुनाव में इसका असर भी देखा गया। अब सवाल लोकसभा चुनाव का है लिहाजा पार्टी इस तबके पर नजर गड़ाए है। और कोशिश में है कि दलित नेता उनकी पार्टी के साथ जुड़े, इस क्रम में दमोह के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष का भाजपा में शामिल होना इस रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट