मजनुओं की अब खैर नहीं : दमोह पुलिस ने कान पकड़कर लगवाईं उठक बैठक

दमोह में निर्भया मोबाइल की इस कार्रवाई से आमजन काफी खुश दिख रहे है क्योंकि युवा स्कूल कालेज के नाम पर घर से निकलकर बाहर सड़को पर आवारागर्दी करते नजर आते है मगर पुलिस के इस एक्शन से युवाओं में डर का माहौल दिख रहा है।

Amit Sengar
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Damoh News : उत्तरप्रदेश में चलाये गए एंटी मजनू ऑपरेशन बेहद चर्चाओं में रहा तो अब एमपी में ऐसे ही ऑपरेशन की झलक देखने को मिल रही है जब दमोह पुलिस मजनुओं पर शिकंजा कसती दिखाई दे रही है। ताज़ा मामला सूबे के दमोह से सामने आया है जब महिलाओ बच्चियो की सुरक्षा उनकी परेशानियों को दूर करने चलाई जा रही निर्भया मोबाइल ने मजनुओं के खिलाफ कार्रवाई की यही नही प्रेमी जोड़ों की तहकीकात करने के साथ समझाइश औऱ फिर मजनुओं को कान पकड़कर उठक बैठक भी लगवाई गई। इस कार्यवाही का एक वीडियो भी सामने आया है।

दरअसल दमोह के सर्किट हाउस पर पहाड़ी में सैर करने के लिए रोजाना बड़ी तादात में लोग जाते है मॉर्निंग और इवनिंग वॉक के लिए ये क्षेत्र लोगो का पसंदीदा क्षेत्र है और प्रेमी जोड़ो को भी ये क्षेत्र बेहद भाता है लिहाजा इस इलाके में कई जोड़े देखे जा सकते हैं। कई दफा इन जोड़ो की वजह से लोगो को अप्रिय स्थिति का सामना भी करना पड़ता है तो इसे लेकर लोगो ने पुलिस ने मौखिक शिकायतें भी की।

युवाओं पर नजर रखे है पुलिस

इन हालातों को दमोह पुलिस ने गम्भीरता से लिया और न सिर्फ सर्किट हाउस बल्कि ऐसे तमाम स्थानों पर पुलिस ने निगरानी रखना शुरू कर दिया है। अमूमन स्कूल और कॉलेज के नाम पर घरो से निकले युवा और किशोर इन जगहों पर देखे जा सकते है और अब पुलिस ऐसे युवाओं पर नजर रखे है। सामने आए वीडियो में निर्भया मोबाइल में तैनात महिला पुलिस कर्मी इनसे पूछतांछ करने के साथ समझा रही है।

निर्भया मोबाइल की यह कार्रवाई आमजन को आ रही है पसंद

वही स्कूल कालेज के नाम पर घर से निकले युवाओं का सर्किट हाउस पर मिलने की बात पर उन्हें कान पकड़कर उठक बैठक भी लगवाई जा रही है। निर्भया मोबाइल की ये कार्रवाई लोगो को भी अच्छी लग रही है वहीं उन मां बाप को भी सुकून मिल रहा है जिनके बच्चे स्कूल कॉलेज के नाम पर इस तरह यहां वहां घूम रहे है।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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