Lok Sabha Elections 2024: दमोह जिले में मतदान के लिए कलेक्टर ने घर-घर जाकर हाथ जोड़कर वोट देने की अपील की

दमोह के कलेक्टर संदीप कोचर को भी दो दिनों से जब भी उन्हें समय मिलता है, वो किसी वार्ड या गाँव मे जाकर खुद मतदान पर्चियां बांट रहे है।

Shashank Baranwal
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Damoh

Lok Sabha Elections 2024: एमपी के दमोह में दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है। वहीं जिले में मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए पुरजोर कोशिश की जा रही है।  इस बीच करीब महीने भर से स्वीप गतिविधियां चलाई जा रही हैं तो बीते दो दिनों से जिले भर में कुछ अलग नजारा दिख रहा है। दरअसल, लोगो के घरों में बेल बजती है या कोई दरवाजा नॉक करता है तो लोग सोचने लगते है कि उनके घर कोई जिले का बड़ा अफसर तो नही आया है? कुछ ऐसा ही आज बुधवार को दमोह के आम चोपरा इलाके में हुआ जब लोगों के घरों की घंटियां बजी उन्होंने दरवाजे खोले तो देखा उनके दरवाजे पर जिले के कलेक्टर खड़े मिले।

कलेक्टर हाथ जोड़कर लोगों से वोट करने की कर रहे अपील

दमोह जिले के कलेक्टर हाथ में मतदान सूची को लोगों को देते हुए हाथ जोड़कर अपील वोट देने के लिए अपील कर रहे हैं। इस दौरान कलेक्टर द्वारा अपील की जा रही है कि 26 तारीख को मतदान करने जरूर जाएं। ऐसा नजारा सिर्फ एक जगह नहीं बल्कि जिले भर में आला अधिकारी अलग-अलग जगहों पर अचानक जाकर लोगों को मतदाता पर्चियां बांटते नजर आ रहे हैं। दमोह के कलेक्टर संदीप कोचर को भी दो दिनों से जब भी उन्हें समय मिलता है, वो किसी वार्ड या गाँव मे जाकर खुद मतदान पर्चियां बांट रहे है। दमोह शहर से लगे आम चोपरा इलाके में आज अचानक अपने घरों के बाहर कलेक्टर को देख कर लोग आश्चर्य में पड़ गए। लोगों ने उनका अभिवादन किया अपील सुनी और मतदान करने जाने संकल्प भी लिया। दरअसल, ये वो इलाका है जहां पिछले चुनाव में सबसे कम मतदान हुआ था। लिहाजा मतदान प्रतिशत बढ़ाने खुद कलेक्टर ने यहां मोर्चा संभाला है। क्लेक्टर कोचर के मुताबिक पिछले चुनाव में जिले में मतदान का प्रतिशत 77 फीसदी था। जिसे बढ़ाकर इस बार कम से कम 80 प्रतिशत करना है।

दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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