घायल बंदर खुद पहुंच गया इंसानों के अस्पताल, फिर हुआ ये.. पढ़ें पूरी खबर

स्टाफ ने भी हिम्मत दिखाई और मानवता दिखाते हुए बंदर को सहलाया और फिर उसके घाव पर दवा लगाई और पट्टी बाँध दी, खास बात ये है कि पूरे इलाज के दौरान बंदर चुपचाप बैठा रहा उसने कोई भी हरकत नहीं की।

Atul Saxena
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Damoh monkey treatment

Damoh News: बंदर को इंसानों का पूर्वज माना जाता है, आज भी बंदर कई बार इसका अहसास भी कराता है, दमोह में एक बार फिर एक बंदर ने ऐसा ही कुछ किया कि लोग आश्चर्य में पड़ गए, अब जिले में इस बंदर की चर्चा हो रही है।

घटना एक घायल बंदर से जुड़ी है,  दमोह जिले के तेंदूखेड़ा अस्पताल में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब वहां इलाज के लिए खड़े मरीजों और उनके परिजनों ने एक बंदर को देखा, सामान्य तौर पर बंदर के स्वाभाव के मुताबिक लोग उससे डर गए कि कहन वो किसी को काट ना ले या फिर कोई नुकसान न कर दे, लेकिन वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ और जो हुआ उसे देखकर लोग आश्चर्य में पड़ गए।

इंसान के अस्पताल इलाज कराने पहुंचा Monkey

दरअसल ये एक बंदर का बच्चा था जो अस्पताल में आया और उछल कूद कर उसने अपने घाव अस्पताल के स्टाफ को दिखा दिए मानो कह रहा हो कि मेरा इलाज कर दो मुझे चोट लगी है, वो अस्पताल के अन्दर आया और स्टाफ को अपने घाव दिखाकर बाहर गेट के पास जाकर बैठ गया।

बंदर ने Hospital में चुपचाप बैठकर कराया इलाज

स्टाफ ने भी हिम्मत दिखाई और मानवता दिखाते हुए बंदर को सहलाया और फिर उसके घाव पर दवा लगाई और पट्टी बाँध दी, खास बात ये है कि पूरे इलाज के दौरान बंदर चुपचाप बैठा रहा उसने कोई भी हरकत नहीं की, एक समझदार मरीज की तरह अपने घाव का इलाज कराता रहा, इलाज के बाद अस्पताल स्टाफ ने उसे वहीं छोड़ दिया और फिर थोड़ी देर रुकने के बाद बंदर वहां से चला गया।

बंदर के Treatment का वीडियो वायरल

किसी ने इस दौरान इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया जो अब वायरल हो रहा है, तेंदूखेड़ा अस्पताल में घटी इस घटना और अस्पताल स्टाफ की मानवता की चर्चा अब पूरे जिले में हो रही है,, लोग स्टाफ की तारीफ कर रहे हैं।

दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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