पुलिस का अमानवीय चेहरा, बाल पकड़कर घसीटा गया युवक

दमोह, गणेश अग्रवाल। जिला अस्पताल में दमोह पुलिस का अमानवीय चेहरा देखने को मिला है। यह वीडियो जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें एक पुलिसकर्मी एक व्यक्ति के बाल पकड़कर खींचते हुए ले जा रहा है। जिला अस्पताल के भीतर का यह वीडियो किसी के द्वारा बनाए जाने के बाद वायरल कर दिया गया, जिसके बाद यह वीडियो लोगों में शेयर किया जा रहा है।

जिला अस्पताल में आए दिन ही अवांछित लोगों का प्रवेश होता है। साथ ही कुछ लोग नशे आदि का प्रयोग करके भी अस्पताल में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में धमाचौकड़ी कर रहे इन लोगों को पुलिस एवं सिक्योरिटी की मदद से अलग करना पड़ता है। हालांकि इस वीडियो में पुलिस द्वारा बाल खींच कर ले जाए जा रहे युवक के विषय में पुष्टि करने वाला कोई नहीं है, और ना ही इसकी जानकारी देने वाला कोई नजर आ रहा है। फिलहाल यह वीडियो पुलिस की अमानवीयता को जरूर जाहिर कर रहा है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।