बागी नेताओं ने बसपा से भरा नामांकन, कांग्रेस प्रत्याशी ने अपने पुराने साथी को दी यह सलाह

Amit Sengar
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Damoh Election News : सियासत कई रंग दिखाती है और जब मसला चुनाव का हो तो रंग क़ब, कहाँ, कैसे बदल जाये कुछ कहा नही जा सकता, सूबे में इन दिनों यही हो रहा है। इस बीच दमोह से कुछ दिलचस्प तश्वीरें सामने आई है जब कांग्रेस विधायक और बागी दलित नेता अचानक आमने सामने आ गए और पुराने रिश्ते को भुला नही पाते। कांग्रेस विधायक ने अपने पुराने साथी को मशवरा दे दिया कि अभी भी वक्त है बगावत न करें और फार्म न भरें।

दलित नेता कांग्रेस का टिकिट न मिलने से नाराज

दरअसल, दमोह जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष और इलाके के बड़े दलित नेता भगवानदास चौधरी कांग्रेस का टिकिट न मिलने से नाराज हैं और उन्होंने पार्टी छोड़कर बीएसपी का दामन थाम लिया बसपा ने भगवानदास को जिले की हटा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया औऱ वो नामांकन भरने के लिए दमोह के तहसील ऑफिस पहुंचे थे।

इस दौरान दमोह से कांग्रेस विधायक और वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी अजय टण्डन भी पहुंच गए। कमरे में दोनों का आमना सामना हो गया तो टण्डन खुद को रोक नही पाए और कुछ दिन पहले तक करीबी साथी रहे भगवानदास को उन्होंने पर्चा दाखिल न करने की सलाह दे दी। चौधरी ने टण्डन की बात सुनी और फिर खुद दबी जुबान से कहा मीडिया मौजूद है कुछ न कहें और फिर टण्डन को भी समझ आया कि बात सार्वजनिक हो सकती है लेकिन तब तक ये बात कैमरे में कैद हो चुकी थी। हालांकि अजय टण्डन को भगवानदास चौधरी से व्यक्तिगत कोई खतरा नही है क्योंकि दोनों की सीटें अलग अलग है लेकिन पार्टी के प्रति अपनी जवाबदारी निभाने की भूमिका में टण्डन से रहा नही गया बस यही कहा जा सकता है।

कांग्रेस में सब एक हैं और कहीं कोई भीतरघात की संभावना नही है

इस घटनाक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए अजय टण्डन ने कहा कि पार्टी में जो होना था हो गया अब सब एकजुट हैं कहीं कोई भीतरघात की उम्मीद नहीं है, साल 2018 के आमचुनाव और 2021 के उपचुनाव का जिक्र करते हुए टण्डन ने कहा कि कांग्रेस में सब एक हैं और कहीं कोई भीतरघात की संभावना नही है , टिकिट मांगना सबका अधिकार है और जब प्रत्याशी घोषित हो गया तो जब एक झंडे के नीचे हैं।
दमोह से दिनेश अग्रवाल की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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